जनता के लिए सदा समर्पित रहने वाले प्रदेश के गृह-स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज को लेकर प्रदेश भर में लगातार चर्चाएं लंबे समय से बनी हुई है। कुछ समय पहले जहां लापरवाह और जनता को बेवजह परेशान करने वाले जांच अधिकारियों को सस्पेंड करने का बड़ा आदेश जारी उनके द्वारा किया गया था और प्रदेश में यह चर्चा जोरों पर चली थी। वहीं अब प्रदेश के कैबिनेट मंत्री अनिल विज को लेकर आम जनमानस में एक अलग तरह की चर्चा बनी हुई है।
दरअसल प्रदेश की जनता के दर्द-परेशानी और समस्याओं को समझते हुए अनिल विज द्वारा कुछ फैसले स्वास्थ्य विभाग से संबंधित लिए गए थे, लेकिन लंबे समय तक इंतजार के बाद भी कुछ अधिकारियों द्वारा इसमें रोड़ा अटका दिया गया। यानी उन फाइलों को आगे नहीं निकाला गया। जिसे लेकर स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज द्वारा एक सार्वजनिक मंच पर ऐसे अधिकारियों को एक कड़ा संदेश भी दिया गया था। बावजूद इसके अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने उसके बाद से ही स्वास्थ्य विभाग को लेकर किसी भी फाइल पर हस्ताक्षर नहीं किया, यानि स्वास्थ्य विभाग से संबंधित हर कार्य पर पूरी तरह से ब्रेक लगी हुई है।
हाल ही में हर वर्ग को लाभान्वित किया है मुख्यमंत्री ने
एक ओर जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रदेश की जनता को लेकर ताबड़तोड़ फैसलें कर रहे हैं। हर विभाग द्वारा प्रदेश की जनता को लाभान्वित किया जा रहा है। प्रदेश का कोई वर्ग ऐसा बचा नहीं जिसे हाल ही में कुछ ना कुछ तोहफा प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा नहीं दिया गया हो। वहीं दूसरी तरफ अधिकारियों की हठधर्मी प्रदेश की जनता के लिए बड़ी परेशानी का सबक बनी हुई है।
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री द्वारा हर मौके पर जनता के लिए बड़े-बड़े फैसले लिए गए हैं। जिन सरकारी अस्पतालों में पूर्व की सरकारों के दौरान बुखार जुखाम की गोली या पट्टी तक करने का सामान नहीं मिलता था। आज जिला अस्पतालों में बड़े से बड़े टेस्ट और गंभीर महंगी बीमारियों के इलाज की सुविधा उपलब्ध करवाई जा चुकी है। जिन अस्पतालों में पहले गरीब व्यक्ति भी अपने किसी परिजन का इलाज करवाना खतरे की घंटी मानता था, आज आम और खास व्यक्ति सरकारी अस्पतालों-मेडिकल कॉलेजों में इलाज के लिए सिफारिश तक करवाता देखा जाता है। यानी एक बड़ा बदलाव प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज की कोशिशों के कारण इस विभाग में आ पाया है।
अस्पताल में उपचाराधीन के बावजूद भी विज ने कभी नहीं रुकने दिया कार्य
कुछ समय से स्वास्थ्य विभाग एक लावारिस सा नजर आने लगा है। क्योंकि स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज द्वारा किए गए किसी भी फैसले पर पूरी तरह से ब्रेक लगाने का काम कर दिया जाता है। लगभग 5 अक्टूबर से प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अपने स्टैंड पर अडिग हैं। स्वास्थ्य विभाग में उसी दिन से यह गतिरोध जारी है। ब्यूरोक्रेसी में इस प्रकार की चर्चाएं तो जोरों पर हैं ही, अब आम जनमानस भी इस पर चर्चाएं करने लगा है। जिंदादिल अनिल विज हमेशा जनता के प्रति समर्पित रहे हैं।
समय कितना भी गंभीर आया अनिल विज अपने विभागों के प्रति पूरी तरह से सक्रिय नजर आते रहे हैं। कोरोना जैसे संकट के दौरान जहां प्रदेश के विधायक और मंत्री पूरी तरह से अपने घरों में कैद हो गए थे, अनिल विज ही एकमात्र ऐसे मंत्री थे जो मौके के हालातो को काबू करने के लिए रोजाना अपने कार्यालय चंडीगढ़ में पहुंचे। कई बार कोरोना संक्रमित होने के बावजूद उनकी गाड़ी का पहिया नहीं रुका। कई बार स्वास्थ्य कारणों से अस्पताल में उपचाराधीन हुए लेकिन वहां भी अपने संबंधित अधिकारियों को बुलाकर फाइलों पर सिग्नेचर करते रहे। उचित दिशा निर्देश देते रहे और हर मौके पर विभाग पर नजर बनाकर रखते रहे। एक मौका ऐसा भी आया जब अनिल विज ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ अपने कार्यालय चंडीगढ़ में पहुंचे और सभी जरूरी फाइलों पर हस्ताक्षर करके अधिकारियों से जरूरी बैठकें भी की।
केंद्रीय आयुष मंत्री की जद्दोजहद के बावजूद नहीं माने विज
अनिल की जैसे शेर मंत्री की नाराजगी प्रदेश के लिए किसी भी नजरिए से लाभप्रद नहीं हो सकती। हमेशा जन समर्पित भावना और जिंदा दिल विचारधारा के साथ आगे बढ़ाने वाले और अन्य मंत्रियों के लिए एक रोल मॉडल की भूमिका में अनिल विज की नाराजगी और मायूसी प्रदेश की जनता के लिए बेहद नुकसानदायक है। ऐसे में विचारणीय प्रश्न है कि आखिर इस गंभीर मसले पर प्रदेश का राजा कब हस्तक्षेप करेगें। प्रदेश के मुखिया की भूमिका ऐसे मामले में आज बेहद जरूरी बनी हुई है। दोनों तरफ से सम्मान का प्रश्न बन चुके इस मसले का समाधान बेहद आवश्यक है।
क्योंकि मामला जनता के साथ सीधा-सीधा जुड़ा है। इस वर्चस्व की लड़ाई में सीधा नुकसान जनता का हो रहा है। ना केवल स्वास्थ्य विभाग बल्कि जानकारी के अनुसार आयुष विभाग की भी कई फाइलें इसी प्रकार अटकी हुई है। जिसे लेकर केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल द्वारा भी अनिल विज को मनाने की जद्दोजहद की चर्चाएं हैं। लेकिन समाधान नहीं निकल पाया। लेकिन यह भी तय माना जा रहा है कि प्रदेश के मुखिया की थोड़ी सी भूमिका के साथ ही मामले का समाधान आसानी से संभव है। अब सभी की निगाहें प्रदेश के मुखिया पर है कि कब वह इस महत्वपूर्ण मसले पर अपनी मौजूदगी दर्ज करवाएंगे।
संघर्ष का एक लंबा अतीत रहा है विज का
भाजपा के जिस दौरान प्रदेश में मात्र दो-चार ही विधायक हुआ करते थे, और भाजपा के कार्यकर्ता और नामलेवा प्रदेश में कहीं-कहीं नजर आते थे, उस वक्त जनता के हितों की हमेशा लड़ाई अनिल विज को लड़ते देखा गया। उस दौरान भी अनिल विज ने विपक्ष में रहने के दौरान भी जनता की लड़ाई खूब लड़ी। तत्कालीन सरकारों के आदेशों पर पुलिस की खूब लाठियाँ खाई। अनिल विज ने सरकार द्वारा किए गए जन विरोधी फैसलों को लेकर खूब धरने प्रदर्शन किए। हमेशा अपनी गाड़ी में रखी हुई दरी किसी भी वक्त अनिल विज ने सरकार और पुलिस के खिलाफ निकालकर बिछाई और वही विरोध प्रदर्शन शुरू किए और जिन्हें परिणाम तक भी पहुंचाया। उनकी लोकप्रियता के कारण धरने प्रदर्शनों ने कई बार विकराल रूप भी लिए।
कड़े निर्णय-कुशल मार्गदर्शन और विज के अथक प्रयासों ने बनाया स्वास्थ्य विभाग को विश्वासपात्र
अनिल विज के पास स्वास्थ्य मंत्रालय आने से पहले सरकारी अस्पतालों में कोई गरीब व्यक्ति भी अपने परिजनों का इलाज करवाना असुरक्षित मानता था। आज सरकारी अस्पतालों में महंगी से महंगी दवाइयां उपलब्ध हैं। एमआरआई ,सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड समेत तमाम महंगे से महंगे टेस्ट का प्रबंध हो पाया है। यह प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज की जन समर्पित भावना के कारण संभव हुआ है।
इसके साथ-साथ लगातार अचानक ओचक निरीक्षण जहां विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों के लिए एक कड़ी चेतावनी रही, वहीं आम जनमानस का सरकार के प्रति विश्वास में बढ़ोतरी करने वाले साबित हुए है। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने डीजी ऑफिस तक में अचानक पहुंचकर बड़े से बड़े अधिकारियों को अचंभित करने का काम किया था। इनके कड़े निर्णय और कुशल मार्गदर्शन से स्वास्थ्य विभाग आज आम और खास के लिए विश्वास के पात्र बन पाया है। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज आने वाले समय में ओर भी कई सुधारात्मक बदलाव करने के प्रयास में रहे हैं। लेकिन कुछ अधिकारियों द्वारा फाइलों में रोडा अटकाने का दर्द वह एक सार्वजनिक मंच से बया कर चुके हैं। प्रदेश के कैबिनेट मंत्री अनिल विज शुरू से ही अच्छा स्वास्थ्य- अच्छी शिक्षा और मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदेश वासियों को देने के पक्ष में खड़े रहे हैं।
प्रदेश में 2 करोड़ लोगों के हेल्थ कार्ड बनाना चाहते हैं विज
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जल्द प्रदेश में 2 करोड़ लोगों का हेल्थ कार्ड बनाने को लेकर प्रयासरत हैं। इस बारे जानकारी के अनुसार हर व्यक्ति के घर-घर जाकर टेस्ट किए जाएं ताकि पता लग पाए कि उसे कोई बीमारी है या नहीं। जानकारी के अनुसार इस योजना से संबंधित कार्य में भी टांग अड़ाई जा रही है। विज प्रयासरत है कि व्यक्ति की शारीरिक क्षमता- रोग और स्वास्थ्य बारे पुरा डाटा ऑनलाइन कार्ड में हो। अस्पताल में जाने दौरान टेस्ट करवाने की बजाए कार्ड के माध्यम से पूरा डाटा कंप्यूटर पर डॉ. के सामने आ जाए। जिससे तुरंत बाद समय को न गवाते हुए उसका उपचार शुरू किया जा सके। अनिल विज प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग को पूरे देश में मॉडल बनाना चाहते हैं।
विज के प्रयासों के कारण ही हरीयाणा आयुष यूनिवर्सिटी खोलने वाला पहला राज्य बना है। इसके साथ-साथ हर अल्टरनेटिव सिस्टम पर कार्य चल रहा है। 500 के करीब वैलनेस सेंटर मंजूर किए जा चुके हैं जो जगह-जगह खुलेंगे। इसके साथ-साथ एलोपैथी, आयुर्वेद, होम्योपैथी, सिद्धा, यूनानी को लेकर कार्य चल रहा है ताकि मरीज को किसी न किसी तरह से रिलीफ दिया जा सके। सभी पद्धतियों के अस्पताल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी बनाई जा रहे हैं। राजनीति में कदम रखते ही अनिल विज की पहले दिन से चाहत रही है कि शिक्षा- स्वास्थ्य हर किसी को बेहतर से बेहतर मिले तथा इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत हो।