भारतीय रेलवे में ‘H’ का मतलब Halt से होता है। इसका इस्तेमाल लोको-पायलट के लिए होता है। यह विशेषतौर पर लोकल पैसेंजर ट्रेनों के लिए होता है। जब भी लोको-पायलट पैसेंजर ट्रेन चला रहे होते हैं तो उस रूट पर ‘H’ का इस्तेमाल किया जाता है।
रेलवे में सफर के दौरान अक्सर आपने ऐसे चिन्ह देखे होंगे, जिनका मतलब आपको नहीं पता होगा। प्लेटफॉर्म हो या ट्रेन के डिब्बे, टिकट हो या ट्रैक, सभी जगह आपको ऐसे कुछ विशेष चिन्ह देखने को मिल जाएंगे। ऐसा ही एक चिन्ह है ‘H’, जो पटरियों के किनारे इस्तेमाल होता हे। आइए जानते हैं क्या होता है ‘H’ चिन्ह का मतलब और आखिर क्यों रेलवे में इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।
क्या होता है ‘H’ का मतलब ?
भारतीय रेलवे में ‘H’ का मतलब Halt से होता है। इसका इस्तेमाल लोको-पायलट के लिए होता है। यह विशेषतौर पर लोकल पैसेंजर ट्रेनों के लिए होता है। जब भी लोको-पायलट पैसेंजर ट्रेन चला रहे होते हैं, तो उस रूट पर ‘H’ का इस्तेमाल किया जाता है। यह हाल्ट स्टेशन से कुछ किलोमीटर की दूरी पर होता है, जिससे लोको-पायलट को पता चल जाता है कि आगे हाल्ट है, और वह ट्रेन की रफ्तार धीमी कर सके।
हाल्ट स्टेशन क्या होता है ?
हाल्ट ऐसे स्टेशन को बोला जाता है, जहां पर सिर्फ पैसेंजर या लोकल ट्रेन रुकती है। इसके अलावा इमरजेंसी में दूसरी ट्रेनों को भी हाल्ट पर रोका जा सकता है। इस तरह के स्टेशन को गांव और कस्बों में बनाया जाता है। हाल्ट स्टेशन जंक्शन या टर्मिनस की तुलना में छोटे स्टेशन होते हैं और यहां सुविधाएं भी कम होती हैं। इन स्टेशन पर भीड़ भी अधिक देखने को नहीं मिलती है।
हाल्ट स्टेशन पर जरूरी नहीं है फुटओवर ब्रिज का निर्माण
रेलवे स्टेशन पर एक प्लेटफॉर्म से दूसरे प्लेटफॉर्म पर जाने के लिए फुटओवरब्रिज का निर्माण करता है, लेकिन हाल्ट स्टेशन के मामले में यह जरूरी नहीं है। भारतीय रेलवे के सर्कुलर की मानें तो सिंगल लाइन हाल्ट पर फुटओवर ब्रिज का निर्माण जरूरी नहीं है। रेलवे के मुताबिक, हाल्ट स्टेशन पर पीने के पानी के लिए एक नल, शेड, छायादार वृक्ष, पंखे, एक वेटिंग रूम, डस्टबीन, टाइम टेबल डिसप्ले और एक घड़ी की सुविधा को शामिल किया जाता है। इसके साथ ही प्लेटफॉर्म के दोनों छोर पर स्टेशन का नाम वाला बोर्ड शामिल रहता है। इसके लिए रेलवे की ओर से हाल्ट स्टेशन को तीन श्रेणी में बांटा जाता है, जिसमें HG1, HG2 और HG3 श्रेणी शामिल है।