ट्रंप प्रशासन का कहना है कि पाकिस्तान के साथ सामरिक धैर्य बनाए रखने और उसे प्रलोभन देने की बजाय अब इस्लामाबाद के साथ ‘कुछ नया’ करने का समय आ गया है, ताकि पाकिस्तान को आतंकवादियों के लिए ऐसा सुरक्षित पनाहगाह बनने से रोका जा सके, जहां से वे (आतंकवादी) अमेरिका और उसके सहयोगियों पर हमला कर सकते हैं। हालांकि यह साफ नहीं किया गया कि ‘कुछ नया’ का मतलब क्या है, लेकिन इसे बड़ी कार्रवाई का इशारा माना जा रहा है। ट्रंप प्रशासन ने यह भी कहा कि 9/11 के हमले के बाद अमेरिका की सरकारों द्वारा अपनाई गयी पाकिस्तान नीति ने सही काम नहीं किया है।
ट्रंप प्रशासन ने इसके लिए पाकिस्तान के प्रति पिछले प्रशासन के रुख को भी जिम्मेदार बताया। अधिकारी ने कहा, ‘पूर्व प्रशासन ने सामरिक धैर्य बनाए रखने और केरी-लुगर-बर्मन बिल जैसे प्रलोभन दिए (जिसके तहत पाकिस्तान को अरबों डॉलर की सहायता राशि मुहैया कराई गई) लेकिन कुछ भी काम नहीं आया। आतंकवादी पाकिस्तान में पूरी आजादी से काम कर रहे हैं।वहां सरकार और आतंकवादी समूहों के बीच भी वहां संबंध हैं।’
गौरतलब है कि पिछले सप्ताह ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान को दी जाने वाली दो अरब डॉलर की सहायता राशि रोक दी थी। इस पर पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने कहा था कि अमेरिका अब पाकिस्तान का सहयोगी नहीं है। अधिकारी ने कहा, ‘क्षेत्र में 9/11 हमले की जड़ें हैं। हमने अफगानिस्तान में मानवशक्ति और धन निवेश किया है। हम अफगानिस्तान में तालिबान को हावी न होने देने के अपने संकल्प के प्रति प्रतिबद्ध हैं और हम अफगानिस्तान या पाकिस्तान को आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बनने न देने को भी प्रतिबद्ध हैं, जहां से आतंकवादी अमेरिका और उसके सहयोगियों पर हमला कर सकते हैं।