नई दिल्ली। लम्बी दूरी की यात्रा करने के लिए ट्रेन एक अच्छा साधन माना जाता है। बड़ी बात ये है कि रेलवे का किराया हर कोई वहन भी कर सकता है जिसकी वजह से यात्रियों की पहली पसंद भी माना जाता है। भारतीय रेल अपने यात्रियों की मांग के हिसाब से समय-समय पर बदलाव भी करता रहता है। इसी क्रम में यात्रियों को रेलवे ने एक और तौहफा दिया है।
रेलवे ने एसी कोचों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए लंबी दूरी की ट्रेनों में 3 एसी कोचों की संख्या बढ़ाएगा। रेलवे के आंकड़ें दिखाते हैं कि एक अप्रैल 2016 से 10 मार्च 2017 के बीच लंबी दूरी की ट्रेनों में 3 एसी कोचों में 17 फीसदी यात्रियों ने सफर किया जो यात्री भाड़े से हुई सारी आमदनी का 32।60 फीसदी है। आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले वर्ष 16।69 फीसदी के मुकाबले इस वर्ष यात्रियों की भागीदारी 17।15 फीसदी होने से 3 एसी की मांग बढ़ रही है।
पिछले वर्ष एक अप्रैल 2016 से दस मार्च 2017 के बीच यात्रियों से होने वाली आय भी 32।60 फीसदी से बढ़कर 33।65 फीसदी हो गई। स्लीपर क्लास से इस अवधि में 59।78 फीसदी यात्रियों ने यात्रा की और यात्री भाड़े से होने वाली आमदनी में 44।78 फीसदी का योगदान किया। पिछले वर्ष स्लीपर क्लास ने 60 फीसदी यात्रियों को सफर कराया और इससे उसे 45।94 फीसदी की आमदनी हुई।
स्लीपर क्लास की मांग में अब कमी का चलन देखा जा रहा है क्योंकि अधिक यात्री 3 एसी को अपना रहे हैं। रेलवे मंत्रालय के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि कुछ लंबी दूरी की ट्रेनों में धीरे धीरे 3 एसी कोचों की संख्या को बढ़ाने का फैसला किया है। रेलवे ने हाल ही में हमसफर एक्सप्रेस शुरू की थी जिसमें केवल 3 एसी कोच थे और इसके सकारात्मक परिणाम मिले। ऐसे में उन तमाम यात्रियों को जो AC में सफ़र करना चाहते हैं उन्हें सीट मील जाएगी और गर्मी से उनका पसीना नहीं बहेगा।