ग्राहकों को मुफ्त दी गई सेवाओं पर बैंकों को हजारों करोड़ रुपये का टैक्स भरना पड़ सकता है। इसलिए, पूरी आशंका है कि अब बैंक आपसे उन सेवाओं पर शुल्क वसूलने लगें जो अब तक मुफ्त थीं। ऐसे में एक गाइड तैयार की गई है ताकि बैंक की नीति बदल जाए तो भी आपको अतिरिक्त खर्च से बच सकें…
क्योंः बैंक सिर्फ पांच फ्री ट्रांजैक्शन की सुविधा ही देते हैं। वह चाहे अपने बैंक का एटीएम हो या दूसरे बैंक का। अगर आपको कैश की ज्यादा जरूरत पड़ती है तो एटीएम से थोड़ी-थोड़ी रकम नहीं निकालें, बल्कि एक बार में ही मोटी रकम निकाल लें।
कितनी बचतः छठी एटीएम निकासी से हर बार 10 से 20 रुपये देने पड़ते हैं जो बच जाएंगे। वहीं, दूसरे काम के लिए एटीएम के इस्तेमाल पर हर बार 5 से 8.50 रुपये देने पड़ते हैं।
क्योः बैंक हर महीने शाखाओं से 3 से 4 फ्री ट्रांजैक्शन की अनुमति ही देते हैं।
कितनी बचतः प्रति ट्रांजैक्शन 50 से 150 रुपये
क्योंः आपको फ्री में मिले चेकबुक के बाद अगर अतिरिक्त चेक की जरूरत पड़ गई तो आपको चार्ज देना होगा। इसलिए, किसी को पैसे ट्रांसफर करने के लिए चेकबुक की जगह नेटबैंकिंग का रास्ता अपनाएं।
कितनी बचतः आप कितने चेक का चेकबुक ऑर्डर करते हैं, उस हिसाब से 20 से 150 रुपये प्रति चेकबुक देने पड़ सकते हैं।
क्योंः मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर हर बैंक चार्ज वसूलते हैं।
कितनी बचतः प्रति माह 10 से 600 रुपये।
क्योंः बैंक कागज पर प्रकाशित स्टेटमेंट या पासबुक इशू करने पर फी लेती हैं।
कितनी बचतः 100 रुपये
क्योंः क्रेडिट कार्ड के बिल नहीं भरने पर ऊंची दर से ब्याज जुटता रहता है।
कितनी बचतः समय पर बिल नहीं भरे तो सालाना 39 से 42 प्रतिशत तक ब्याज देना पड़ सकता है। अगर बिल भरने में निर्धारित तिथि से तीन दिन तक देर कर दी तो 750 रुपये का चार्ज देना पड़ता है।
क्योंः क्रेडिट कार्ड से पैसे निकालने पर ब्याज तो लगता ही है, बैंक ट्रांजैक्शन चार्ज भी लेते हैं।
कितनी बचतः जितनी रकम निकाली, उसका 2.5 प्रतिशत या कम-से-कम 300 से 500 रुपये।
क्योंः नेटबैंकिंग के जरिए या बैंक में आवेदन देकर बिल के स्वतः भुगतान की व्यवस्था कर लें। इससे समय पर बिल का पैसा खुद-ब-खुद अकाउंट से कट जाएगा। आप चाहें तो बिल की पूरी रकम नहीं तो कम-से-कम 5 प्रतिशत तक ऑटो पेमेंट की अनुमति दे सकते हैं। ऐसे में आपको कभी भी लेट फाइन के रूप में मोटी रकम फालूत में खर्च नहीं करनी होगी।
कितनी बचतः सालाना 39 से 42 प्रतिशत तक के ब्याज की बचत जो लेट फाइन के रूप में देनी पड़ सकती थी।
क्योंः यूटिलिटी कंपिनयां बिल पेमेंट में देरी पर जुर्माना वसूलती हैं। बिल पे सर्विसेज या बैंक को समय पर बिल के स्वतः भुगतान की अनुमति देने से चार्ज देने से बचा जा सकता है।
कितनी बचतः यूटिलिटी कंपनियां 40 से 100 रुपये तक लेट पेमेंट चार्ज वसूलती हैं।
क्योंः खाते में पैसे नहीं रहने पर चेक नहीं भंजता है। इसके लिए न केवल चार्ज देना पड़ता है, बल्कि यह एक जुर्म भी है।
कितनी बचतः 500 से 750 रुपये तक।
क्योंः बैंक क्रेडिट कार्ड की लिमिट से ज्यादा खर्च करने पर चार्ज वसूलते हैं।
कितनी बचतः लिमिट से ज्यादा खर्च की गई रकम का 2.5 प्रतिशत या कम-से-कम 500 रुपये
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