केंद्र सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (GST) के मोर्चे पर करदाताओं को बड़ी राहत दी है। वित्त मंत्रालय ने व्यापारियों को दी जाने वाली जीएसटी छूट का दायरा दोगुना कर दिया है। अब 40 लाख रुपये तक की सालाना कमाई करने वाले कारोबारियों को जीएसटी से छूट मिलेगी। जबकि पहले यह सीमा 20 लाख रुपये थी। इतना ही नहीं, जिन कारोबारियों का सालाना टर्नओवर 1.5 करोड़ रुपये तक है, वे कंपोजिशन स्कीम का विकल्प चुन सकते हैं। उन्हें केवल एक फीसदी की दर से टैक्स का भुगतान करना पड़ेगा।
वित्त मंत्रालय के मुताबिक, जीएसटी लागू होने के बाद टैक्सपेयर बेस लगभग डबल हुआ है। जब जीएसटी लागू हुआ था, उस समय जीएसटी द्वारा कवर किए गए एसेसीज की संख्या करीब 65 लाख थी, जो अब बढ़कर 1.24 करोड़ से ज्यादा हो गई है। साथ ही जीएसटी में सभी प्रक्रियाएं पूरी तरह से स्वचालित हैं।
पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली की पहली पुण्यतिथि पर वित्त मंत्रालय ने कहा कि जीएसटी से पहले मूल्यवर्धित कर (वैट), उत्पाद शुल्क और बिक्री कर देना पड़ता था। सामूहिक रूप से इनकी वजह से कर की मानक दर 31 फीसदी तक पहुंच जाती थी। मंत्रालय ने कहा, ‘अब व्यापक रूप से सब मानने लगे हैं कि जीएसटी उपभोक्ताओं और करदाताओं दोनों के अनुकूल है। जीएसटी से पहले कर की ऊंची दर की वजह से लोग करों का भुगतान करने में प्रोत्साहित होते थे। लेकिन जीएसटी के तहत निचली दरों से कर अनुपालन बढ़ा है।’
जीएसटी में 17 स्थानीय शुल्क समाहित हुए हैं। देश में जीएसटी को एक जुलाई, 2017 को लागू किया गया था। नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में अरुण जेटली वित्त मंत्री थे। मंत्रालय ने ट्वीट किया, ‘आज हम अरुण जेटली को याद कर रहे हैं। जीएसटी के क्रियान्वयन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। इतिहास में इसे भारतीय कराधान का सबसे बुनियादी ऐतिहासिक सुधार गिना जाएगा।’
मंत्रालय ने कहा कि लोग जिस दर पर कर चुकाते थे, जीएसटी व्यवस्था में उसमें कमी आई है। राजस्व तटस्थ दर (आरएनआर) समिति के अनुसार राजस्व तटस्थ दर 15.3 फीसदी है। वहीं रिजर्व बैंक के अनुसार अभी जीएसटी की भारित दर सिर्फ 11.6 फीसदी है।