वैसे तो जगत के स्वामी सच्चे मन के स्मरण मात्र से ही प्रसन्न हो जाते हैं इसलिए उनको भोले भंडारी कहा जाता है। प्रसन्न होकर वरदान देने में वह किसी भी प्रकार का कोई भेद नहीं करते हैं। देव- दानव हो या मानव हो सभी को मनचाहा वरदान देते हैं, लेकिन वरदान का प्रकृति के विरुद्ध प्रयोग करने पर वह कठोर दंड भी देते हैं। तपस्या के अलावा अनाज के छोटे-छोटे उपाय कर भी मानव अपनी मनचाही इच्छा को पूरी करने के लिए श्रीशिव का वरदान प्राप्त कर सकता है।
शिवपुराण में कहा गया है कि शिवलिंग पर चावल समर्पित करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। यह चावल अखण्डित होना चाहिए। उत्तमभाव से चावल चढ़ाने के बाद रुद्रप्रधान मंत्र से पूजा करना चाहिए। यदि शिवलिंग पर सुंदर वस्त्र समर्पित कर चावल समर्पित करें तो अतिउत्तम होता है। चंदन, रोली, अबीर, गुलाल और नारियल समर्पित करने से पूरा फल प्राप्त होता है।
मूंग से पिनाकपाणी की पूजा करने से सांसरिक सुखों में वृद्धि होती है। प्रियंगु यानी कंगनी से श्रीशिव की पूजे करने से धर्मं, अर्थ और भोग की प्राप्ति होती है। अरहर के पत्तों से श्रृंगार कर पूजा करने से सुख और संपन्नता मिलती है।
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