वैसे तो जगत के स्वामी सच्चे मन के स्मरण मात्र से ही प्रसन्न हो जाते हैं इसलिए उनको भोले भंडारी कहा जाता है। प्रसन्न होकर वरदान देने में वह किसी भी प्रकार का कोई भेद नहीं करते हैं। देव- दानव …
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