देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम की गैर सरकारी योजना ने उनके ही शहर में देशभर में रिकॉर्ड तोड़ा है। गरीब बच्चों को अच्छा पोषण आहार देने के लिए आईएएस राहुल जैन ने सबसे पहले होशंगाबाद फिर रीवा और तीसरे नंबर पर ग्वालियर में कलेक्टरी के दौरान यह पहल शुरू की। इसका नाम है ‘अटल बाल पालक” और यह कोई सरकारी योजना नहीं है। पहल इतनी सफल हुई कि अब निजी संस्थाएं और नागरिकों के साथ- साथ सरकारी संस्थान तक आगे आने लगे हैं।
ग्वालियर में 600 से ज्यादा बच्चे वर्तमान में निजी देखरेख में पोषण आहार ले रहे हैं। ग्वालियर में कलेक्टर रहे राहुल जैन की यह पहल सबसे ज्यादा यहीं सफल हुई और अब उनके स्थानांतरण के बाद भी रिस्पांस में कोई कमी नहीं है।
क्या है अटल बाल पालक योजना
कलेक्टर राहुल जैन 2013 में होशंगाबाद कलेक्टर बने। यहां उन्होंंने अपने स्तर पर योजना बनाई और वेबसाइट भी बनवाई। इसमें उन्होंने खुद एक बच्ची को चुना और उसके पालक बने। इस योजना में शहर के संभ्रांत नागरिक और संस्थाओं को जोड़ा जाता है और उनसे गरीब बच्चों के अटल बाल पालक बनने की अपील की जाती है। इसमें प्रॉपर फार्मेट तैयार किया जाता है और महिला बाल विकास विभाग व समााजिक न्याय विभाग के अधिकारियों की मदद ली जाती है। एक तरह से पूरी टीम इसके लिए काम करती है।
हर 15 दिन में डाइट चार्ट और प्रोग्रेस भी अपलोड होती है
अटल बाल पालक योजना में वेबसाइट पर पूरा ब्यौरा अपलोड किया जाता है, ऐसा नहीं कि किसी ने एक बार अटल बाल पालक में रजिस्टर्ड कर लिया और फिर वह काम न करे तो उसे रखा जाएगा। उसे हटा दिया जाता है। इसकी पूरी मॉनिटरिंग की जाती है कि बच्चों को डाइट में क्या दिया जा रहा है और बच्चों में सुधार कितना हो रहा है।
ऐसे आगे आ रहे लोग
70 संस्थाओं ने 100 से जयादा आंगनबाड़ी के बच्चों को इस योजना में लिया है।। समर्पण संस्था ने 110 बच्चों को गोद लिया है। जीआरएमसी कॉलेज के सोशल साइंस विभाग ने 70 बच्चों को गोद लिया है। बिल्डर राममोहन त्रिपाठी व उनकी पत्नी संध्या त्रिपाठी ने आंगनबाड़ी केंद्रों को गोद लिया है। इसके अलावा जेसीआई, रोटरी सहित विभिन्न संस्थाएं काम कर रहीं हैं।