पेट्रोल-डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों पर अब ब्रेक लग गया है. अगले 10 दिन पेट्रोल-डीजल के दाम में कोई इजाफा नहीं होगा. हालांकि, इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड की कीमतों में तेजी जारी है. लेकिन, 12 मई तक भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम स्थिर रहेंगे. इसके पीछे एक बड़ा कारण है, जिसकी वजह से ऑयल मार्केटिंग कंपनियों (IOC, HPCL, BPCL) ने रोजाना बदलने वाले भाव को रोक दिया है. हालांकि, कंपनियों को इससे नुकसान हो सकता है. अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हो रहा है, जिसकी वजह से कंपनियों की लागत बढ़ सकती है. कच्चा तेल खरीदना कंपनियों के लिए महंगा होगा.
नहीं बढ़ेंगे पेट्रोल-डीजल के दाम
तेल कंपनियों ने पेट्रोल और डीजल के दाम में रोजाना होने वाले संशोधन को फिलहाल रोक दिया है. दरअसल, दक्षिण राज्य कर्नाटक में 12 मई को चुनाव होने वाले हैं. इसलिए ऐसा किया गया है. खास बात यह है कि पिछले 8 दिनों में भी पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई इजाफा नहीं हुआ है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसके दाम दो डॉलर प्रति बैरल बढ़ चुके हैं, लेकिन भारत में खुदरा दाम में कोई बदलाव नहीं किया गया है.
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नहीं घटेगी एक्साइज ड्यूटी
पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से लगातार एक्साइज ड्यूटी में कटौती की मांग हो रही है. लेकिन, वित्त मंत्रालय ने साफ इनकार कर दिया है कि एक्साइज ड्यूटी नहीं घटाई जाएगी. आपको बता दें, इस वक्त पेट्रोल के दाम करीब 5 साल के उच्चतम स्तर पर हैं, वहीं डीजल अपने रिकॉर्ड स्तर पर कारोबार कर रहा है. राजधानी दिल्ली में आज का भाव 74.63 पैसे हैं. जबकि डीजल की कीमतें 65.93 रुपए प्रति लीटर पहुंच चुकी हैं. 24 अप्रैल को आखिरी बार पेट्रोल-डीजल के भाव में बदलाव हुआ था. उसके बाद से कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया है.
सरकार का कोई लेनादेना नहीं
पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर पेट्रोलियम मंत्रालय का कहना है कि कीमतों से मंत्रालय का कोई ताल्लुक नहीं है. यह कंपनियां तय करती हैं कि कीमतों में कितना बदलाव किया जाएगा. कर्नाटक चुनाव की वजह से कीमतों में संशोधन को रोका गया है. इससे पहले गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान भी तेल कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल के दाम में होने वाले संशोधन पर रोक लगाई थी.
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चुनाव के बाद एकदम से बढ़ेंगे दाम?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार चुनाव के वक्त तेल कंपनियों से कीमतों में इजाफा न करने को कहती हैं. हालांकि, पेट्रोलियम मंत्रालय इसका खंडन करता रहा है. दाम में बदलाव नहीं होने से कंपनियों को घाटा होता है. इसकी भरपाई वह चुनाव के बाद कीमतें बढ़ाकर करती हैं. ऐसे में कर्नाटक चुनाव के बाद पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बड़ा इजाफा देखने को मिल सकता है.
सरकार का नहीं है नियंत्रण
साल 2010 से सरकार ने पेट्रोल को अपने नियंत्रण से बाहर कर दिया था. वहीं, अक्टूबर 2014 में डीजल को भी इस नियंत्रण से बाहर कर दिया गया. इसके बाद से कीमतों में महीने में दो बार संशोधन किया जाता था. पहला संशोधन 15 तारीख और दूसरा 30 या 31 तारीख को होता था. लेकिन, जून 2016 से पेट्रोल-डीजल के दाम रोजाना तय होते हैं.