शेख चिल्ली एक बार अपने मित्र के साथ जंगल में लकड़ियां काटने के लिए गया। बड़े पेड़ पर चढ़कर लकड़ियां काटते-काटते उसके ख्यालों के घोड़े दौड़ने लगे। सोचने लगा, ‘जब मैं ढेर सारी लकड़ियां काटकर बाजार में बेचूंगा, तो मुझे अच्छे दाम मिलेंगे। इस प्रकार कुछ दिन लगातार जब लकड़ियां बेचता रहूंगा, तो मैं धनी बन जाऊंगा और साल भर में तो और अमीर बन जाऊंगा। उसके बाद लकड़ियां काटने के लिए बहुत सारे नौकर रख लूंगा। काटी हुई लकड़ियों से फर्नीचर का व्यापार शुरू करूंगा। कुछ ही समय के बाद, मैं शहर का सबसे धनी व्यक्ति बन जाऊंगा!

मेरी ख्याति चारों तरफ फैलने लगेगी। अब पास देश का राजा मुझसे राजकुमारी का विवाह करवाने के लिए प्रस्ताव भेजेगा। मेरी शादी राजकुमारी से हो जाएगी। शादी के बाद पत्नी को लेकर मैं घूमने जाऊंगा। हम दोनों मीठी-मीठी बातें करेंगे, फिर हमारे दो बच्चे होंगे। जब बच्चे थोड़े बड़े होने लगेंगे, तब वो मेरे से पैसे मांगा करेंगे। कभी तो पैसे दे दिया करूंगा और कभी मना कर दिया करूंगा। एक बार जब बच्चे पैसे की ज्यादा जिद्द करेंगे, तब मैं उनको झटक दिया करूंगा’। इतना सोचते ही शेख चिल्ली ने सचमुच हाथ झटका, हाथ टहनी से छूट गया और पेड़ पर बैठा शेख चिल्ली जमीन पर धड़ाम से गिर गया और सारे खयाली सपने टूट गए।
जब व्यक्ति कल्पनाओं में सोचता है कि मैं बड़ा धनी और कीर्ति वाला हो जाऊंगा, गीता में इसको आसुरी संपदा के लक्षण कहा गया है। असलियत में कल कभी नहीं आता! जब आएगा, अभी बनकर आएगा। जीवन को ख्यालों में न जिएं, क्योंकि ख्यालों का जीवन खोखला होता है। वर्तमान को मजबूती देनी होगी, वर्तमान को जीना होगा। फिर, आने वाला कल अपने आप बेहतर हो जाएगा।
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