नई दिल्ली: विकलांग व्यक्तियों को बराबरी के मौके देने और उनके अधिकारों को साकार रूप प्रदान करने के लिए हर वर्ष 3 दिसम्बर को विश्व विकलांग दिवस मनाया जाता है. विकलांग व्यक्तियों के मानव अधिकारों, स्थायी विकास और शांति के साथ सुरक्षा बनाए रखने के लिए यह जरूरी है. इन व्यक्तियों के वास्तविक जीवन में सहायता प्रदान करने के लिए इस दिन को मनाया जाता है. विकलांग इंसानों के लिए यह सबसे ख़ास दिनों में से एक होता है.
विश्व विकलांग दिवस का इतिहास-
विश्व विकलांग दिवस के लिए वार्षिक ऑब्जरवेशन की घोषणा यूनाइटेड नेशंस ने जनरल असेम्बली रेजोल्यूशन में 1992 में की थी. जनरल असेम्बली रेजोल्यूशन 47/3 के तहत यह वार्षिक ऑब्जर्वेशन घोषित किया गया था. इसका उद्देश्य समाज सभी क्षेत्रों में विकलांग लोगों के अधिकारों और कल्याण को बढ़ावा देना है. इसके अलावा राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन के हर पहलू में विकलांग व्यक्तियों की स्थिति के बारे में जागरूकता बढ़ाना है. यूनाइटेड नेशंस में विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों का कन्वेंशन 2006 में अपनाया गया.
थीम-
इस साल विश्व विकलांग दिवस के लिए थी ‘Not All Disabilities are Visible’ रखी गई है. यह विकलांगों की समझ और जागरूकता पर ध्यान केन्द्रित करती है. WHO के अनुसार दुनिया की 15 फीसदी आबादी विकलांगता के साथ जी रही है. न्यूरोलोजी समस्याओं के साथ जी रहे काफी लोग पेशेवर चिकित्सा का लाभ नहीं उठा पाते हैं. यह समाज में उनकी उपेक्षा और बराबरी का अधिकार नहीं मिलने के कारण है. मानसिक स्थिति, और तनाव ऐसी डिसेबिलिटीज हैं जो दिखाई नहीं देती है.
विश्व विकलांग दिवस की अहमियत-
विश्व विकलांग दिवस का महत्व तब बढ़ जाता है, जब बात विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों की आती है. यही एक ऐसा दिन होता है, जब विकलांग व्यक्तियों के कल्याण की बातें की जाती हैं. समाज में हो रही उपेक्षा और उन्हें हीन भावना से देखे जाने वाली बातों पर अंकुश लगाने के लिए यह दिन ख़ास अहमियत रखता है. कला प्रदर्शनी, चित्रों आदि की गैलरी से इस दिन को मनाया जा सकता है. विकलांग व्यक्तियों को सम्मान देते हुए कार्यक्रमों का आयोजन कर उन्हें समाज में एक बराबर वर्ग बताते हुए जागरूकता फैलाई जा सकती है. विकलांग व्यक्तियों के कामों की तारीफ करते हुए उन्हें पुरस्कृत करने से इस दिन की अहमियत और ज्यादा बढ़ जाती है.