नई दिल्ली। बीते कुछ दिनों से दिल्ली के चारों तरफ हजारों किसानों ने नए कृषि कानून के खिलाफ डेरा डाला हुआ है। ये सभी किसान सरकार से इसके तहत बनाए गए तीन नए कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। इसके विरोध प्रदर्शन के समर्थन में कई राज्यों के किसान यहां पर शामिल हुए हैं। इसके समर्थन में कुछ खिलाड़ी, गायक और विरोधी दलों के नेता भी सामने आ चुके हैं। कुछ लोगों ने इसके समर्थन में अपने पदकों को भी लौटाने की बात कहकर माहौल को और गर्म करने की कोशिश की है। आपको बता दें कि किसानों ने नए कृषि कानून के वापस न लेने की सूरत में 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है। इसको विरोधी दलों का व्यापक समर्थन मिल रहा है।
कनाडा से उठी आवाज-
भारत में चल रहे किसान आंदोलन की आवाज अब विश्व स्तर पर भी उठती दिखाई दे रही है। सबसे पहले इसको लेकर जो आवाज आई थी वो कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की थी। दरअसल, उन्होंने ये बयान उस सवाल के जवाब में दिया था जिसका संबंध भारत में चल रहे किसान आंदोलन से था। उनका कहना था कि कनाडा हमेशा से ही पूरी दुनिया में होने वाले शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने के अधिकार का समर्थक है। उनका ये भी कहना था कि वो किसानों और सरकार के बीच बनी दूरी को पाटने के लिए बातचीत की शुरुआत से भी काफी खुश हैं। हालांकि उनके इस बयान पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी और इसको आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करार दिया था। भारत का कहना था कि इस तरह के बयानों से दोनों ही देशों के बीच दूरियां बढ़ती हैं, लिहाजा इससे बचना चाहिए।
भारत का बयान पर विरोध-
आपको बता दें कि वैश्विक मंच पर किसान आंदोलन को लेकर हो रही चर्चा से इतर एक बड़ी सच्चाई ये भी है कि ये आंदोलन पूरी तरह से शांतिपूर्ण तरीके से किया जा रहा है। कहीं से भी किसी भी तरह की कोई अप्रिय घटना की सूचना अब तक नहीं मिली है। इतना ही नहीं कई जगहों पर आंदोलन कर रहे किसानों ने वहां मौजूद पुलिसकर्मियों की विनती को मानते हुए सीमित दायरे में ही प्रदर्शन किया है। कहीं भी उग्र प्रदर्शन या हिंसात्मक प्रदर्शन की बात सामने नहीं आई है। इसकी एक दूसरी तस्वीर ये भी है कि कई जगहों पर पुलिसकर्मियों ने आंदोलन पर बैठे किसानों के लिए चल रहे लंगर में मदद भी की है, जो कहीं न कहीं पारस्परिक सहयोग करने की भावना के साथ गांधीगिरी को भी दर्शा रहा है।
ब्रिटेन के सांसदों का आंदोलन के समर्थन में पत्र-
कनाडा के अलावा किसान आंदोलन की गूंज ब्रिटेन की संसद में भी सुनाई दी है। किसानों के समर्थन में ब्रिटेन की लेबर पार्टी के सांसद तमनजीत सिंह घेसी के नेतृत्व में करीब 36 सांसदों ने राष्ट्रमंडल सचिव डोमेनिक रॉब को एक पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि सरकार भारत की सरकार पर किसान आंदोलन के समर्थन में दबाव बनाए। इस पत्र में किसानों की मांग को लेकर भारत सरकार से बातचीत करने की भी अपील की गई है। इस पत्र में कहा गया है कि किसान आंदोलन ब्रिटेन में रहने वाले उन सभी लोगों के लिए बेहद चिंता का विषय है जो पंजाब से सीधेतौर पर जुड़े हुए हैं। इसमें कहा गया हे कि सरकार किसानों की उपज का उचित मूल्य सुनिश्चित करने में विफल रही है। किसान आंदोलन के समर्थन और कृषि कानून के खिलाफ तमनजीत सिंह ने ब्रिटेन के सांसदों के साथ एक वर्चुअल बैठक भी की थी।
यूएन महासचिव का बयान-
देश में चल रहे किसान आंदोल के समर्थन में अब संयुक्त राष्ट्र महासविच एंतोनियो गुतारेस भी आते दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा है कि लोगों को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने का पूरा अधिकार है। अधिकारियों द्वारा इस अधिकार को छीना नहीं जा सकता है। यूएन महासचिव के बयान के बारे में उनके प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने दी है।