गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष के समक्ष हिमालयी राज्यों के वनों, खासकर उत्तराखंड में बार-बार भीषण आग लगने और उससे पर्यावरण, वन्यजीवों के साथ जान-माल के भारी नुकसान को लेकर चिंता जताई।
गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी की पहल पर नीति आयोग उत्तराखंड में वनाग्नि की समस्या से निपटने के लिए अहम कदम उठाने जा रहा है। आयोग ने इसके लिए पर्यावरण और वन, वित्त और गृह मंत्रालयों के साथ मिलकर एक ज्वाइंट वर्किंग ग्रुप बनाने का फैसला किया है। यह समूह इस विकराल होती समस्या पर एक व्यापक अध्ययन करवाएगा।
इस संबंध में बुधवार को सांसद बलूनी ने नई दिल्ली में नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी से मुलाकात की। बलूनी ने उपाध्यक्ष के समक्ष हिमालयी राज्यों के वनों, खासकर उत्तराखंड में बार-बार भीषण आग लगने और उससे पर्यावरण, वन्यजीवों के साथ जान-माल के भारी नुकसान को लेकर चिंता जताई। सांसद ने कहा कि उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में हर साल गर्मी में वनाग्नि की समस्या गंभीर होती है, जंगलों की आग के मामले साल-दर-साल बढ़ रहे हैं। इससे राज्य की अर्थव्यवस्था को भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
दूरगामी नीतियां बनाने की जरूरत
बातचीत के क्रम में इस मांग पर जोर दिया गया कि इस समस्या की रोकथाम की योजनाओं में दूरदर्शी व दूरगामी नीतियां बनाने की जरूरत है। साथ ही पर्वतीय राज्यों के लिए बजट में भी अलग से प्रावधान करने की आवश्यकता है ताकि पहाड़ और जंगल का संतुलन बनाए रखने के लिए बड़े कदम उठाए जा सकें।
नीति आयोग उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने आश्वस्त किया कि पर्वतीय प्रदेशों में जंगल में आग लगने से बचाव के लिए हर आवश्यक कदम उठाया जाएगा। साथ ही दूरगामी नीतियां और योजनाएं बनाई जाएंगी, ताकि ऐसी घटनाओं की रोकथाम की जा सके और बड़ी होती समस्या से बेहतर ढंग से निपटा जा सके।