फरवरी 2018 में अबूधाबी दौरे के वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मंदिर की आधारशिला रखी थी।
अबू धाबी में पहले हिंदू मंदिर के ‘शिलान्यास विधी’ का आयोजन किया गया है। समारोह में स्वामीनारायण संस्था के आध्यात्मिक नेता महंत स्वामी महाराज की उपस्थिति में शुरू होगा। साथ ही इसमें मंदिर का निर्माण करने वाला धार्मिक और सामाजिक संगठन भी शामिल होंगे। शेख अब्दुल्ला बिन जायद अल नाहयान, विदेश मामलों के मंत्री और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और शेख नाहन मुबारक अल नाहयान, सहिष्णुता मंत्री, दुनिया भर के सामाजिक और आध्यात्मिक नेताओं के साथ इस अवसर पर शिरकत करेंगे।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी 2018 में अपने दौरे के वक्त इस मंदिर की आधारशिला रखी थी। गौरतलब है कि ये अभी तक साफ नहीं है कि मंदिर का काम कब पूरा होगा, लेकिन अभी इसमें कुछ साल लगेंगे। यूएई में लगभग 26 लाख भारतीय रहते हैं, यानी वहां की आबादी का 30 फीसदी हिस्सा। बताया जा रहा है कि इस मंदिर की फंडिंग प्राइवेट तौर पर की जा रही है।मंदिर का निर्माण अबू धाबी के प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान द्वारा उपहार में दी गई 55,000 वर्ग मीटर जमीन पर किया गया है।
इसके साथ ही यूएई सरकार ने इतनी ही जमीन मंदिर परिसर में पार्किंग सुविधा के निर्माण के लिये दी है इसके ढांचे का निर्माण भारतीय कारीगरों ने हाथों से उकेरा है और यूएई में इकट्ठा किया है। ये मंदिर दिल्ली के अक्षरधाम मिदंर और दूसरा न्यूजर्सी यूएस में निर्माणाधीन एक इमारत के प्रारुप पर आधारित है। 2015 में मोदी ने अबू धाबी का दौरा करने के बाद से भारत-यूएई के संबंधों को एक नए स्तर पर बढ़ाया है। UAE ने महाराष्ट्र में एक रिफाइनरी परियोजना में सऊदी अरब के साथ संयुक्त रूप से निवेश करने के अलावा रणनीतिक तेल भंडार बनाने में भी योगदान दिया है।
2017 में गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि रह चुके अबू धाबी के राजकुमार ने भी हालिया भारत-पाकिस्तान तनावों को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।