यूपी में एक बार पिर से सियासी पारा गर्म है। कारण है सपा, बसपा और रालोद के बीच गठबंधन की।हालांकि, इन दलों ने इससे फिलहाल सकी पुष्टि नहीं की है लेकिन गठबंधन में कांग्रेस का नाम ना होने से राजनीति गर्म है। वहीं दूसरी तरफ इन खबरों को लेकर मुख्यमंंत्री आदित्यनाथ ने तंज कसते हुए कहा है कि जिनकी जमीन खिसक रही है वो एक दूसरे को गले लगा रहे हैं।
खबरों के अनुसार दावा किया जा रहा है कि पांच राज्यों के चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के बाद भी समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने कांग्रेस को गठबंधन में शामिल न करने का फैसला कर लिया है। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में यह दोनों दल रालोद को गठबंधन में शामिल करते हुए भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोलेंगे।
सूत्रों से मिली खबर के अनुसार इसके लिए सीटों का फार्मूला भी तय हो गया है। बसपा जहां 38 सीटों पर वहीं सपा 37 और तीन पर रालोद चुनाव लड़ेगा। कांगे्रसी गढ़ माने जाने वाले रायबरेली और अमेठी संसदीय सीट पर गठबंधन का प्रत्याशी चुनाव नहीं लड़ेगा। सपा अपने कोटे की कुछ और सीटें भी व्यक्ति विशेष या छोटे दलों को दे सकती है।
आम चुनाव होने मेंअभी तीन-चार माह से ज्यादा का वक्त है लेकिन, सभी पार्टियां चुनावी तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुट गई हैं। सर्वाधिक 80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में अब तक यही माना जाता रहा कि भाजपा से मुकाबला करने के लिए सभी विपक्षी पार्टियां एकजुट होंगी लेकिन सूत्रों का कहना है कि बसपा और सपा ने कांग्रेस से गठजोड़ न करने का फिलहाल फैसला कर लिया है।
इसके लिए उनके वरिष्ठ नेताओं में वार्ता भी हो चुकी है। दोनों ही पार्टियां का मानना है कि पड़ोसी राज्यों में सरकार बनाने के बाद कांगे्रस गठबंधन में ज्यादा सीटों पर दावेदारी करती। पुराने अनुभवों के आधार पर दोनों का यह भी मानना है कि कांगे्रस को साथ लेने से उन्हें फायदा नहीं होगा क्योंकि उसके वोट सपा या बसपा को ट्रांसफर नहीं होते।
सूत्रों का कहना है कि फिलहाल सीटों के बंटवारे का जो फार्मूला तैयार किया गया है, उसके तहत 38 लोकसभा सीटों पर बसपा लड़ेगी और तीन सीटें बागपत, कैराना व मथुरा रालोद को दी जाएंगी। शेष 39 सीटों में सपा 37 पर जबकि दो सीटें रायबरेली और अमेठी में गठबंधन का कोई प्रत्याशी चुनाव नहीं लड़ेगा।
सूत्र बताते हैं कि सपा अपने कोटे में से कुछ सीटें व्यक्ति विशेष या अन्य छोटे दलों को दे सकती है। कौन सी सीट किस पार्टी को मिलेगी इसका मोटा आधार पिछले चुनाव का नतीजा रहेगा। सपा व रालोद के पास जो सीटें हैं, वह उन्हीं के पास रहेंगी। रनरअप यानि दूसरे स्थान पर जो पार्टी रही है उसे अन्य समीकरणों को देखते हुए प्राथमिकता पर वही सीट दी जाएगी ताकि ज्यादा से ज्यादा सीटों पर विजय हासिल की जा सके।
गौरतलब है कि पिछले चुनाव में भाजपा ने अपना दल के साथ मिलकर जहां 73 सीटें जीती थीं वहीं सपा पांच व कांगे्रस को दो सीटों पर ही सफलता मिली थी। बसपा एक भी सीट नहीं जीत सकी थी। यद्यपि उप चुनाव में सपा दो और रालोद एक सीट, भाजपा से झटकने में कामयाब रही है।