कोर्ट ने कहा, सरकार खुद कुछ करती नहीं है। जब हम कुछ कहें तो सब कहने लगते हैं कि सरकार और देश चलाने की कोशिश कर रहे हो।’ शहरों में बेघरों को शेल्टर मुहैया करवाने से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह कमेंट किया।
उत्तरप्रदेश सरकार को फटकारते हुए जस्टिस एमबी लोकुर और दीपक गुप्ता की बेंच ने कहा- लग रहा है कि आपकी मशीनरी फेल हो गई। आप लोग काम नहीं कर सकते हैं तो बता दें।’
कोर्ट ने कहा कि दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एलयूएलएम) 2014 से चल रहा है, लेकिन उत्तरप्रदेश सरकार ने इस पर कुछ नहीं किया। राज्य सरकार ध्यान रखे कि यह मामला इंसानों से जुड़ा है। जिन लोगों के पास रहने के लिए कोई जगह नहीं है, उन्हें रहने की जगह दी जानी चाहिए।
कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा कि शहरों में बेघरों के आधार कार्ड कैसे बनाए जाते हैं। उनका ब्योरा क्या दिया जाता है। जवाब में एएसजी तुषार मेहता ने कहा, संभवत: ऐसे लोगों के पास आधार कार्ड नहीं मिलेगा।’ इस पर कोर्ट ने पूछा, क्या आधार से वंचित बेघरों का केंद्र या यूपी सरकार के लिए कोई वजूद नहीं है? क्या उन्हें शेल्टर होम्स में जगह नहीं मिलेगी?’
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर पूछा कि केंद्रीय विद्यालयों की मॉर्निंग असेम्बली में संस्कृत में वेद की ऋचाएं और हिंदी में प्रार्थना बुलवाना क्या असंवैधानिक है। क्या यह किसी धर्म विशेष का प्रचार है? केंद्र सरकार और केंद्रीय विद्यालय संगठन को चार हफ्ते में जवाब देना होगा। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के वकील विनायक शाह ने इसे संविधान का उल्लंघन और एक धर्म विशेष की मान्यताओं को बढ़ावा देने वाला बताते हुए रोक लगाने की मांग की है।
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