नई दिल्ली: PPF vs NPS investment: रिटायरमेंट के बाद भी अच्छा और आरामदायक जीवन जीने के लिए लोग पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (Public Provident Fund-PPF) और नेशनल पेंशन सिस्टम में निवेश करते हैं. रिटायरमेंट फंड बनाने के लिए ये दोनों तरीके बहुत शानदार हैं. लेकिन इन दोनों में कुछ अंतर है, जिन्हें निवेश करने से पहला समझना बेहद जरूरी है. ताकि निवेश के लिए पीपीएफ (PPF) और एनपीएस (NPS) में से किसी एक का चुनाव करने में आसानी हो.
PPF और NPS में मूलभूत फर्क
पीपीएफ में निवेश करने का चलन बहुत पुराना है और इसमें कोई भी व्यक्ति इन्वेस्टमेंट कर सकता है. वहीं सरकार की तरफ से पेंशन सोसायटी को डेवलप करने के मकसद से नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) लाई गई है. एनपीएस अकाउंट में शेयर बाजार की हिस्सेदारी अधिक होती है. शेयर बाजार (Share Market) से जुड़ा होने के कारण एनपीएस में ज्यादा रिटर्न मिलने की संभावना रहती है. जबकि पीपीएफ में सरकार के द्वारा एक निश्चित ब्याज दिया जाता है लेकिन इसमें निवेश पूरी तरह से सुरक्षित रहता है.
ऐसे समझें PPF का गणित
PPF की बात करें तो यदि कोई व्यक्ति एक साल में इस में 1.5 लाख रुपये या 12,500 रुपये प्रति माह जमा करता है. यदि निवेश की अवधि के दौरान उसे 7.1 फीसदी का ब्याज मिलता है तो पीपीएफ कैल्कुलेटर के मुताबिक 30 साल के बाद निवेशक को मैच्योरिटी अमाउंट 1,54,50,911 रुपये यानी कि करीब डेढ़ करोड़ रुपया मिलेगा.
NPS में रहेगा ऐसा मामला
वहीं अगर कोई व्यक्ति NPS की स्कीम में 1.5 लाख रुपये सालाना या फिर 12,500 रुपये महीने जमा करता है और एन्युटी को 40 फीसदी रखा जाता है. तब एनपीएस कैल्कुलेटर के मुताबिक व्यक्ति रिटायरमेंट के बाद 1,70,94,940 रुपये अपने खाते से निकाल सकता है. साथ ही शेष 1,13,96,627 रुपये का उपयोग एन्युटी खरीदने में कर सकता है. इससे उसे करीब हर महीने 56,983 रुपये की पेंशन मिलती रहेगी.
टैक्स में छूट का फायदा
पब्लिक प्रॉविडेंट फंड में किए गए निवेश के ऊपर इनकम टैक्स के सेक्शन 80C के तहत टैक्स डिडक्शन का लाभ मिलता है. वहीं पीपीएफ में मैच्योरिटी लिमिट पूरी होने पर मिलने वाला पैसा ब्याज मुक्त होता है. वहीं NPS में निवेश को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से Section 80CCD(1B) के तहत 50,000 रुपये की अतिरिक्त छूट मिलती है, जो कि सेक्शन 80CCE के तहत मिलने वाली 1.5 लाख रुपये की छूट के अतिरिक्त है.
पीपीएफ और एनपीएस में निवेश को लेकर जानकारों की मानें तो इन दोनों में से एक को चुनना हो तो एनपीएम स्कीम ज्यादा बेहतर है. लेकिन बेहद सुरक्षित भविष्य के लिए दोनों योजनाओं में निवेश करना अच्छा है. पीपीएफ को लोग लॉन्ग टर्म की फाइनेंशियल जरूरतों के लिए चुन सकते हैं क्योंकि इसमें टैक्स सेविंग होती है. वहीं, एनपीएस एक वेल्थ क्रिएशन इंस्ट्रूमेंट की तरह काम करता है.