नेशनल हाईवे स्थित जालंधर पानीपत नेशनल हाईवे देश के सबसे महंगे टोल प्लाजा में 7वें नंबर पर होने के कारण चर्चा में है, जिस पर भारतीय किसान यूनियन ने 16 जून को रेट में की गई वृद्धि के चलते अपना धरना लगाकर नेशनल हाईवे अथॉरिटी के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया था। इसके बाद नेशनल हाईवे अथॉरिटी द्वारा पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में केस दर्ज किया गया, जिस पर सुनवाई करते हुए पंजाब सरकार को टोल प्लाजा को दोबारा से शुरू करने के लिए चार हफ्तों का समय दिया गया।
इसके बाद लुधियाना प्रशासन और पुलिस विभाग ने टोल प्लाजा को 45 दिन के बाद 31 जुलाई को लुधियाना प्रशासन की सहायता से शुरू करवाया, जिस बारे में जानकारी हासिल करने के बाद पता चला कि यह टोल प्लाजा 2009 में जालंधर -पानीपत के नाम पर शुरू किया गया था। इसके बाद नेशनल हाईवे अथॉरिटी ने इस टोल प्लाजा के माध्यम से जालंधर पानीपत हाईवे को शुरू करवाने का काम शुरू करवाया गया परंतु 15 साल बीत जाने के बाद भी जालंधर पानीपत हाईवे कंप्लीट नहीं हो पाया, जिसके चलते कई बार किसान यूनियन संगठन ने इस टोल प्लाजा का विरोध किया।
इस टोल प्लाजा की आखरी सीमा 2024 में मई महीने में खत्म होनी थी परंतु फिर भी यह टोल प्लाजा चलाया जा रहा है। जिसके चलते भारतीय मजदूर किसान यूनियन ने इस टोल प्लाजा पर 16 जून को अपना धरना प्रदर्शन लगाकर नेशनल हाईवे अथॉरिटी के खिलाफ प्रदर्शन किया गया किस टोल प्लाजा की मान्याद की जांच की जाए और टोल रेट में की गई बढ़ोतरी की भी वापसी ली जाए परंतु इसके बाद 16 जून से लाडोवाल टोल प्लाजा को किसान संगठनों ने फ्री करवा दिया।
देश के सबसे महंगे टोल प्लाजा में सातवे नंबर शामिल पर लाडोवाल टोल प्लाजा
नेशनल हाईवे पर स्थित लाडोवाल टोल प्लाजा देश में सबसे महंगे टोल प्लाजा के सातवे नंबर में शामिल होने के कारन मशहूर हो चुका है बताया जा रहा है कि यह टोल प्लाजा देश में बाकी राज्यों में सबसे महंगा टोल प्लाजा साबित हो रहा है जिसका अनुमान सातवे में नंबर पर लगाया जा रहा है। इस गिनती में देश के बाकी अन्य 6 राज्य आते हैं जहां पर इस टोल प्लाजा से भी ज्यादा की टोल वृद्धि से वसूल की जा रही है।