वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) और दवा कंपनी फाइजर पर आरोप लगाया कि जानबूझकर चुनाव से पहले कोरोना के टीके की घोषणा नहीं की गई, क्योंकि इससे उनकी जीत हो सकती थी।
ट्रंप ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘एफडीए और डेमोक्रेट्स चुनाव से पहले मुझे टीके का श्रेय नहीं देना चाहते थे, क्योंकि इससे उन्हें चुनाव में जीत हासिल हो सकती थी। खास बात यह है कि टीके की घोषणा मतदान के दिन पांच दिन बाद की गई।’ ट्रंप ने आरोप लगाया कि अगर जो बाइडन राष्ट्रपति होते तो, आपको अगले चार साल तक टीका नहीं मिलता और ना ही एफडीए ने इसे तुरंत मंजूरी दी होती।
इससे पहले फाइजर ने दावा किया था कि टीके प्रारंभिक विश्लेषण से पता चला है कि उसकी टीका कोरोना बीमारी को रोकने में 90 फीसद कारगर है। फाइजर ने इस बारे में कुछ विस्तार से तो नहीं बताया, लेकिन कहा कि अध्ययन के अंत तक परिणाम में बदलाव हो सकता है। उधर, निर्वाचित राष्ट्रपति बाइडन ने टीका बनाने वाले विज्ञानियों को बधाई देते हुए कहा कि हमें यह समझना होगा कि कोरोना का अंत होने में अभी समय लगेगा।
कोरोना टास्क फोर्स में शामिल किए गए दो भारतीय-
नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा बनाई गई कोरोना टास्क फोर्स में दो भारतीयों को शामिल किया गया है। मूलरूप से कर्नाटक के रहने वाले डॉ. विवेक मूर्ति को जहां इस टास्क फोर्स का को-चेयरमैन बनाया गया है वहीं डॉ. अतुल गवांडे को टास्क फोर्स का सदस्य नियुक्त किया गया है। मूलरूप से महाराष्ट्र से आने वाले गवांडे ने इस जिम्मेदारी के लिए बाइडन प्रशासन का आभार जताया है। कर्नाटक के रहने वाले मूर्ति वर्ष 2014 से 2017 तक अमेरिका के 19वें जनरल सर्जन रहे हैं।