PAK को दोहरा झटका, आतंक के खिलाफ अमेरिकी संसद और सरां में प्रस्ताव पेश

आतंक के पनाहगार देश पाकिस्तान को आज आतंकवाद को लेकर दो झटके लगे हैं। अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र में टेरर फंडिंग का प्रस्ताव पेश किया है। इसके अलावा अमेरिकी संसद में भी आतंकवाद के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया गया है। भारत ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया है। पाकिस्तान का नाम लिए बिना भारत ने उसे बार-बार अपराध करने वाला बताया।

भारत के संयुक्त राष्ट्र (संरा) में स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) वैश्विक मानदंडों की स्थापना करने में अहम भूमिका निभाता है। शुक्रवार को उन्होंने कहा कि जो राज्य आतंकवादियों के समर्थक हैं वह लगातार उनके पक्ष में किए अपने कार्यों को न्यायसंगत सिद्ध करने के बहाने बनाते रहते हैं।

अकबरुद्दीन ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि कुछ लोग लगातार आतंकवाद का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘आतंकी नियमों का उल्लंघन करने के लिए पहले से ज्यादा सजग हो गए हैं और दुर्भाग्यवश कुछ देश जो आतंकियों के पनाहगार हैं वह उनके पक्ष में किए अपने कार्यों को न्यायसंगत सिद्ध करने की कोशिश के बहाने बनाते रहते हैं।’

अकबरुद्दीन ने कहा कि आतंक पर नकेल कसने के लिए अमेरिका ने जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर के खिलाफ एक प्रस्ताव पेश किया है। अब अमेरिकी सुरक्षा परिषद् ने आतंकियों को होने वाली फंडिंग के खिलाफ प्रस्ताव पास किया है। एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखा हुआ है और रिव्यू के बाद इस बात की संभावना है कि उसपर प्रतिबंध लगाए जाएंगे।

वहीं अमेरिकी संसद में कांग्रेस सांसद स्कॉट पेरी ने पाकिस्तान में मौजूद आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने का एक प्रस्ताव पेश किया है। उन्होंने कहा कि बहुत हो चुका है अब पाकिस्तान सरकार को जवाबदेह ठहराए जाने का समय आ गया है।

उन्होंने कहा कि क्षेत्र में मौजूद आतंकियों को जड़ से खत्म करने की अमेरिका की कोशिशों के बावजूद पाकिस्तान के पास आतंकवादियों और आतंकी समूहों के प्रति सहानुभूति रखने का लंबा इतिहास रहा है। आतंकी घटनाओं का खामियाजा निर्दोंष लोगों को अपनी जान गंवाकर चुकाना पड़ता है। उन्होंने आतंकी ठिकानों को नष्ट करने की भी मांग की है।

पेरी ने पुलवामा हमले का जिक्र करते हुए इसकी निंदा की। बता दें कि 14 फरवरी को सीआरपीफ के काफिले पर जैश के आत्मघाती हमलावर ने हमला किया था। जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे। चीन ने एक बार फिर से संकेत दिया है कि वह संरा में पेश हुए प्रस्ताव का समर्थन नहीं करेगा। अमेरिका चीन के इस कदम की आलोचना कर रहा है।

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