अगर महाभारत की कहानियों को नजदीक से समझा जाएं तो आपको लगेगा कि यहां सिर्फ ऐसे दो किरदार थे, जिनके साथ ना सिर्फ अन्याय हुआ बल्कि जो सबसे दो सशक्त किरदार थे। एक द्रौपदी और दूसरा कर्ण। जी हां जहां कर्ण को पूरी जिंदगी उपेक्षा का शिकार होना पड़ा तो वहीं पांच पतियों का सौभाग्य मिलने के बाद भी एक भी उसके सम्मान की रक्षा नहीं कर पाया। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि कर्ण और द्रौपदी को लेकर एक और कहानी है उनकी प्रेम कहानी। 
कर्ण और द्रोपदी एक दूसरे से आजीवन प्रेम करते थे। लेकिन कभी अभिव्यक्त नहीं कर पाएं। हालांकि इन दोनों ने एक दूसरे को महाभारत काल के दो अध्याय में अपमान किया था। लेकिन द्रोपदी अपने पति अर्जुन से नहीं बल्कि महारथी कर्ण से शादी करना चाहती थी लेकिन किस्मत में अर्जुन और उसके 4 भाईयों के साथ शादी करना लिखा हुआ था।
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द्रोपदी एक ऐसा वर चाहती थी जो सर्वगुण सम्पन्न हो जो एक कुशल योद्धा होने के साथ नैन नक्श में अच्छा हो और हष्ट पुष्ठ होने के साथ वो उसमें नैतिक गुण हो और वो बुद्धिमान भी हो। लेकिन ये सारी खूबिया सिर्फ एक ही योद्धा में मौजूद थी महारथी कर्ण में। लेकिन महाभारत काल में दोनों की शादी नहीं होने लिखी थी इसलिए द्रोपदी ने पांडव से शादी की जिनमें अलग अलग ये गुण थे। ( युधिष्ठिर में नैतिक गुण, भीम में शारीरिक तौर पर मजबूत, अर्जुन एक कुशल योद्धा, नकुल के नैन नक्श और सहदेव की बुद्धिमानी)
पांचाल देश के राजा द्रुपद की पुत्री होने के कारण द्रौपदी से जुड़ी हुई कई विशेष बातें कई राज्यों में फैली हुई थी। उनकी सुंदरता, बुद्धि और विवेक को देखकर कई राजा द्रौपदी पर मोहित थे। लेकिन महारथी कर्ण को द्रौपदी का निडर स्वभाव बहुत पसंद था। द्रौपदी अपनी सखियों के साथ भ्रमण करने के लिए जाया करती थी. द्रौपदी को देखते ही कर्ण को उनसे प्रेम हो गया।
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