NCRB की रिपोर्ट में खुलासा: हरियाणा में सबसे ज्यादा हादसे

हरियाणा की सड़कों पर शाम छह से रात नौ बजे तक संभलकर चलिए। इस समयावधि में सबसे ज्यादा जानलेवा सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की साल 2022 की जारी वार्षिक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। इसके मुताबिक कुल सड़क दुर्घटनाओं की 20 फीसदी घटनाएं इन तीन घंटे में दर्ज की गई हैं। इस दौरान कुल 2345 सड़क हादसे हुए हैं। 

रिपोर्ट इस बात का भी इशारा करती है कि रात के बजाय दिन में ज्यादा हादसे हो रहे हैं। सुबह छह से नौ बजे तक 1411 हादसे, नौ बजे से दोपहर 12 बजे तक 1513 हादसे, दोपहर 12 से तीन बजे तक 1402 हादसे और दोपहर तीन से शाम छह बजे तक 1705 हादसे रिकॉर्ड किए गए हैं। रात 12 बजे से सुबह तीन बजे तक 1140 सड़क हादसे हुए। सड़क सुरक्षा से जुड़े विशेषज्ञ ने बताया कि शाम छह से नौ बजे के दौरान सड़कों पर ज्यादा ट्रैफिक होता है। इस समय लोग आफिस से घर की ओर लौटते हैं। इस वजह से इस समय ज्यादा हादसे होने की आशंका बनी रहती है।

हरियाणा पूरे देश में चौथे स्थान पर

एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक सड़क और रेल दुर्घटनाओं में मृत्यु दर के मामले में हरियाणा पूरे देश में चौथे स्थान पर है। प्रति लाख आबादी पर हरियाणा में मृत्यु दर 53.5 फीसदी है। पहले स्थान पर लद्दाख 78.7 फीसदी, दूसरे स्थान पर पुड्डूचेरी 65.7 फीसदी और तीसरे स्थान पर छत्तीसगढ़ 56.4 फीसदी है। 

रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022 में सड़क और रेल दुर्घटनाओं के कुल 11,876 हादसे हुए। इनमें कुल 6424 लोगों की मौत हुई, जिनमें सड़क हादसों में 5228 लोगों की मौत हुई, जबकि रेल दुर्घटना में 1127 लोगों को जान गंवानी पड़ी। साल 2021 के मुकाबले 2022 में सड़क हादसों में आठ फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। साल 2021 में कुल 11015 हादसे हुए थे।

मार्च और दिसंबर में ज्यादा हादसे

वैसे तो हर दिन सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं और लोगों को जान गंवानी पड़ रही है, मगर मार्च, अप्रैल, मई और दिसंबर में सबसे ज्यादा हादसे रिकॉर्ड किए गए। एनसीआरबी के मुताबिक हरियाणा में मार्च के महीने में सबसे ज्यादा हादसे दर्ज किए गए। मार्च में 1131, अप्रैल में 1037, मई में 1058 और दिसंबर में 1091 हादसे हुए। वहीं, सबसे कम हादसे जनवरी में दर्ज किए गए। जनवरी में 817 सड़क दुर्घटनाएं हुईं।

ओवरस्पीडिंग की वजह से 1976 लोगों को जान गंवानी पड़ी

एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक ओवरस्पीड की वजह से 3805 सड़क हादसे हुए। इनमें 1976 लोगों की मौत हुई, जबकि 2989 लोग घायल हुए। वहीं, लापरवाही से वाहन चलाने पर 4297 सड़क हादसे हुए, जिनमें 1955 की मौतें हुईं और 3395 लोग घायल हुए। नेशनल हाईवे पर 3636 हादसे हुए, जिनमें 2083 लोगों की मौत और 2924 घायल हुए। वहीं, स्टेट हाईवे में 922 लोगों की जान गईं, जबकि एक्सप्रेसवे पर 127 सड़क हादसों में 107 लोगों की मौतें हुईं। वहीं, सर्दियों में धुंध की वजह से 324 हादसों में 156 लोगों की मौत हुई, जबकि 262 लोग घायल हुए।

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