मुंबई, महाराष्ट्र के मंत्री और राकांपा नेता नवाब मलिक ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर अपने खिलाफ दर्ज मनी लान्ड्रिंग मामले को रद करने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। मलिक ने अपनी याचिका में कहा है कि उनकी गिरफ्तारी अवैध है और उन्होंने काेर्ट से रिहाई की मांग की है। गौरतलब है कि एनसीपी नेता को ईडी ने बीते बुधवार (23 फरवरी) को गिरफ्तार किया था। उन पर दाऊद इब्राहिम के करीबी दोस्तों से संपत्ति खरीदने का आरोप है। इसके अलावा मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में भी ईडी जांच कर रही है। बुधवार सुबह करीब सात बजे ईडी की टीम ने उनके घर पर छापा मारा था। इसके बाद ईडी उन्हें अपने साथ लेकर आई थी। करीब छह घंटे की पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।
करोड़ों की जमीन कौड़ियों में खरीदने को लेकर हुई गिरफ्तारी
मलिक की गिरफ्तारी के बाद से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूरे मामले का पर्दाफाश किया था। ईडी ने अदालत को बताया था कि मंत्री नवाब मलिक ने मुनीरा प्लंबर से कथित तौर पर कुछ लाख रुपये में एक कंपनी के जरिए 300 करोड़ रुपये का प्लॉट हड़प लिया था। इस कंपनी का नाम सॉलिड्स इन्वेस्टमेंट प्रा. और कंपनी का मालिक मलिक परिवार है।
ईडी ने आरोप लगाया कि मलिक भगोड़े डॉन दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर और डी गिरोह के अन्य सदस्यों की मदद से कंपनी चला रहा था। इस संबंध में प्लंबर मुनीरा ने ईडी को दिए बयान में बताया कि कुर्ला के गोवाला कंपाउंड में उसके पास 3 एकड़ का प्लॉट है। सलीम पटेल ने अवैध कब्जे को खाली करने और इस जमीन पर विवादों को निपटाने के लिए उनसे पांच लाख रुपये लिए थे, लेकिन उन्होंने इस जमीन को तीसरे पक्ष को बेच दिया, जबकि सलीम को कभी भी संपत्ति बेचने के लिए नहीं कहा गया। इतना ही नहीं 18 जुलाई 2003 को जमीन के मालिकाना हक के हस्तांतरण से जुड़े कागज पर दस्तखत नहीं हुए थे। उसे इस बात की जानकारी नहीं थी कि सलीम पटेल ने यह जमीन किसी और को बेच दी है।
अवमानना मामले में मलिक के खिलाफ सुनवाई टली
बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक के खिलाफ अवमानना मामले में सुनवाई एक हफ्ते के लिए स्थगित कर दी। अवमानना याचिका एनसीबी के मुंबई जोन के पूर्व निदेशक समीर वानखेड़े के पिता ध्यानदेव वानखेड़े ने दायर की है। याचिका को इस आधार पर टाल दिया गया है कि नवाब मलिक पहले से ही मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हिरासत में हैं। ध्यानदेव ने अपनी याचिका में दावा किया कि नवाब मलिक ने पिछले साल दिसंबर में अदालत से कहा था कि वह इंटरनेट मीडिया पर वानखेड़े के खिलाफ कोई अपमानजनक सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करेंगे। इसके बावजूद वह ऐसा कर रहे थे। न्यायमूर्ति एसजे कथावाला और न्यायमूर्ति एमएन जाधव की खंडपीठ ने इस मामले में मलिक को नोटिस जारी किया था।