नई दिल्ली, इंसॉल्वेंसी प्रक्रिया से गुजर रही जेपी इन्फ्राटेक लिमिटेड (जेआइएल) के दोनों बोलीकर्ताओं सुरक्षा ग्रुप और एनबीसीसी को अंतिम बोली लगाने के लिए एक और मौका दिया गया है। दोनों कंपनियों को एक और मौका दिया जाए या नहीं, इसके लिए कंपनियों के कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) ने 27 मई को वोटिंग की शुरुआत की थी।
यह वोटिंग प्रक्रिया शनिवार को खत्म हो गई। सूत्रों का कहना था कि वोटिंग अधिकार रखने वालों में से 98.54 फीसद ने दोनों बोलीकर्ताओं को एक और मौका देने के पक्ष में मतदान किया। जेआइएल के कर्जदाताओं की समिति में कंपनी के लगभग 20,000 फ्लैट खरीदारों का वोटिंग अधिकार 56.61 फीसद, फिक्स्ड डिपॉजिट धारकों का 0.13 फीसद और 13 बैंकों का 43.26 फीसद था।
सूत्रों ने बताया कि दोनों कंपनियों को जेपी इन्फ्राटेक के लिए चार जून तक अंतिम बोली पेश करने को कहा गया है। इसके साथ ही उन्हें स्पष्ट किया गया है कि उनकी बोली इंसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड (आइबीसी) के प्रविधान की सीमा में होना चाहिए। इसके साथ ही बोली इस वर्ष 24 मार्च को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के भी अनुरूप होना चाहिए।
जेआइएल के इंसॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (आइआरपी) ने नियमों का हवाला देते हुए सरकारी कंपनी एनबीसीसी की बोली को खारिज कर दिया और सुरक्षा की समाधान योजना को मंजूरी दे दी। एनबीसीसी ने इसका तीखा विरोध करते हुए कहा कि उसके द्वारा पेश समाधान योजना पूरी तरह नियमों के दायरे में है। कंपनी ने आइआरपी के फैसले को उसके अधिकार-क्षेत्र से बाहर का बताते हुए कहा कि अगर उसकी बोली पर विचार नहीं किया गया तो वह अन्य उपलब्ध कानूनी मंचों पर इस मसले को उठाएगी।
उसके बाद कंपनी के सीओसी ने 24 मई को हुई बैठक में सुरक्षा ग्रुप की बोली पर वोटिंग टाल देने का फैसला किया। सीओसी ने इस पर वोटिंग का फैसला किया कि दोनों कंपनियों को एक और मौका दिया जाए या नहीं। वोटिंग प्रक्रिया के तहत 98 फीसद से अधिक मतदाताओं ने दोनों बोलीकर्ताओं को एक और मौका देने का फैसला किया।
घटनाक्रम
– नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) द्वारा मामला स्वीकार किए जाने के बाद अगस्त, 2017 में जेआइएल दिवालिया प्रक्रिया में गई
– पहले चरण में सुरक्षा ग्रुप की कंपनी लक्षद्वीप की 7,350 करोड़ रुपये की बोली सीओसी ने खारिज कर दी।
– मई-जून, 2019 में सीओसी ने सुरक्षा रियल्टी और एनबीसीसी की बोली खारिज कर दी।
– मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा, जहां कोर्ट ने मामला खत्म करने के लिए 90 दिनों की मोहलत देते हुए कहा कि सिर्फ सुरक्षा ग्रुप और एनबीसीसी से बोलियां आमंत्रित की जाएं।
– दिसंबर, 2019 में सीओसी ने एनबीसीसी की बोली को योग्य करार दिया।
– पिछले वर्ष मार्च में एनसीएलटी ने भी एनबीसीसी की बोली को अनुमोदन दे दिया था।
– एनसीएलटी के फैसले को पहले एनक्लैट और फिर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई।
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal