इंडियन प्रीमियर लीग आईपीएल को शुरू हुए 12 साल हो चुके हैं. इस टूर्नामेंट के लिए खिलाड़ियों को लाखों तक में नीलामी होती है जिसकी कई बार आलोचना भी की जाती रही है.
तमाम आपत्तियों के बाद आज भी आईपीएल एक सफल टूर्नामेंट माना जाता है, हालांकि एक बार मैच और स्पॉट फिक्सिंग ने इसे बदनाम भी किया है. फिर भी आमतौर पर इसे सफल आयोजन माना जाता है. अब आईपीएल में खिलाड़ियों की नीलामी को चुनौती देते हुए इसे रोकने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है.
विवादों से परे नहीं है आईपीएल- आईपीएल में इसके अलावा भी कई विवाद इससे जुड़े हुए हैं. आईपीएल को लेकर सट्टेबाजी का बाजार हमेशा ही चर्चा में रहता है. सट्टेबाजी को लेकर बॉलिवुड की कई हस्तियां भी चर्चा में आ चुकी हैं. बिंदु दारा सिंह, अरबाज खान तक इस मामले में फंस चुके हैं. वहीं चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स जैसी टीमों पर इस मैच फिक्सिंग और सट्टेबाजी के कारण दो साल का प्रतिबंध लग चुका है.
पहले भी 2013 में दायर की जा चुकी है ऐसी याचिका- इस तरह की एक याचिका पहले भी दायर की जा चुकी है जिसमें आईपीएल में खिलाड़ियों की नीलामी को मानवअधिकारों का उल्लंघन बताया गया था. लेकिन 2013 में दायर की गई यह जनहित याचिका खारिज कर दी गई थी. इस बार याचिका को स्वीकार करते हुए मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन ने कहा कि इस मामले पर सुनवाई 26 जुलाई को होगी. इस बात से कई लोगों को हैरानी हो सकती है कि इतने साल बाद इस तरह की याचिका को अदालत में स्वीकार कैसे कर लिया गया. हालांकि इस मामले में कोर्ट का क्या रुख रहता है यह भी देखने वाली बात है.
किसने और क्यों दायर की याचिका- यह जनहित याचिका सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर शर्मा द्वारा दायर की गई है, जिन्होंने आरोप लगाया है कि लीग में खिलाड़ियों की बोली लगाना संवैधानिक और वैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है. शर्मा ने अपनी याचिका में सरकार से ‘अंतर्राष्ट्रीय मानव नीलामी’ से संबंधित मामले को देखने के लिए निर्देश देने की मांग की है. इससे पहले दायर की गई याचिका में भी इसी रह की बात की गई थी, उस समय याचिकाकर्ता ने इसे एक तरह की मानवीय गुलामी बताया था. इस बार शर्मा ने भी कुछ इसी तरह की बात की है. उन्होंने कहा कि नीलामी के माध्यम से मानव बोली लगाने और बेचने के खतरे को नियंत्रित करने, प्रतिबंध लगाने, रोकने और रोकने में सरकार विफल रही है. याचिका में दोषी व्यक्तियों के खिलाफ जांच और कार्रवाई के निर्देश देने की भी मांग की गई है.