कोरोना महामारी की वजह से आर्थिक संकट से जूझ रही कंपनियों पर अगले तीन महीने के लिए दिवाला व शोधन कानून लागू नहीं होगा। कॉरपोरेट मंत्रालय ने अगले तीन महीने के लिए दिवाला व शोधन कानून को निलंबित कर दिया है। गुरुवार को इस संबंध में मंत्रालय की तरफ से आदेश जारी किया गया। कोरोना महामारी को देखते हुए गत 25 मार्च से इस कानून को छह महीने के लिए निलंबित किया गया था जिसकी अवधि 24 सितंबर को समाप्त हो रही थी। अब फिर से अगले तीन महीने के लिए इस कानून को निलंबित कर दिया गया है। इसका मतलब यह हुआ कि किसी भी कंपनी पर अगले तीन महीने के लिए दिवाला व शोधन कानून के तहत कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकती है। 
सरकार के इस फैसले से सैकड़ों कंपनियों को राहत मिलने की उम्मीद है। हालांकि सूत्रों के मुताबिक सरकार के इस फैसले से बैंकों पर और दबाव बढ़ सकता है क्योंकि दिवालिया के योग्य कंपनी पर भी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकेगी और उनसे वसूली में उतनी ही देर होगी। दूसरी तरफ एमएसएमई का कहना है कि कंपनी के खिलाफ दिवालिया कानून के तहत कार्रवाई के लिए एक करोड़ की देनदारी आवश्यक है। इस कारण छोटी कंपनियां बड़ी कंपनियों के खिलाफ दिवालिया कानून का सहारा नहीं ले पाती है।
एमएसएमई विशेषज्ञ मुकेश मोहन गुप्ता ने बताया कि अगर किसी कंपनी ने 50 लोगों का 99 लाख ले रखा है और उसका भुगतान नहीं कर रहा है, लेकिन उस कंपनी को दिवालिया कार्रवाई के लिए नहीं घसीटा जा सकता है। एक करोड़ के देनदारी पर ही यह कार्रवाई शुरू हो सकती है। एमएसएमई इस सीमा को घटाकर एक लाख रुपए करने की मांग कर रही है। ताकि छोटी कंपनियां बड़ी कंपनियों से अपना बकाया निकाल सके।
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