पिछले वर्ष दक्षिण पश्चिम मानसून में हरियाणा में 421.5 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई थी, जोकि सामान्य वर्षा से 2 प्रतिशत कम रही थी। इसमें सबसे कम वर्षा फतेहाबाद, हिसार और जींद में हुई थी। वहीं सबसे अधिक वर्षा कुरुक्षेत्र में हुई थी।
दक्षिण पश्चिम मानसून के इस बार हरियाणा में समय से आने की संभावना है। ऐसा इसलिए क्योंकि मानसून का पैटर्न अभी तक अपने समय से चल रहा है। हरियाणा में मानसून की बारिश 3 जुलाई तक आ सकती है। पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव व बंगाल की खाड़ी से आईं मानसूनी हवा के कारण प्रदेश के कुछ क्षेत्रों के मौसम में परिवर्तन आया है और कई जगह बारिश हुई है। कल भी इन हवाओं का प्रभाव दिखाई देगा।
22 के बाद से 26 जून तक मौसम खुश्क रहने की संभावना है। जिससे तापमान में बढ़ोतरी देखी जा सकती है। इसके बाद से फिर मानसूनी हवा का प्रभाव बढ़ेगा और मौसम में परिवर्तन आएगा। गौरतलब है कि पिछले वर्ष दक्षिण पश्चिम मानसून में हरियाणा में 421.5 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई थी, जोकि सामान्य वर्षा से 2 प्रतिशत कम रही थी। इसमें सबसे कम वर्षा फतेहाबाद, हिसार और जींद में हुई थी। वहीं सबसे अधिक वर्षा कुरुक्षेत्र में हुई थी।
पिछली बार 28 जून के पास आयी थी प्री मानसून की बारिश
पिछले वर्ष दक्षिण पश्चिम मानसून आने से पहले प्री मानसून की बारिश 28 जून के पास आई थी। वहीं मानसून 3 जुलाई के आसपास आया था। ऐसे में इस बार मानसून समय से है जो मौसम वैज्ञानिकों को कुछ संतोष दे रहा है। गौरतलब है कि जून के आखिरी सप्ताह व जुलाई के पहले सप्ताह तक प्रदेश में प्री-मानसून और मानसून दस्तक दे देता है। जबकि 25 सितंबर तक मानसून की वापसी हो जाती है। पिछली बार भी मानसून आने में अधिक देरी नहीं हुई थी। इस बार मानसून में सामान्य से अधिक बारिश आने की संभावना है। ऐसे में किसानों के लिए खुशखबरी है कि बारिश से उनकी फसलों काे अच्छी पैदावार देने में राहत मिलेगी।
अधिकारी के अनुसार
अभी मानसूनी हवा व पश्चिम विक्षोभ के प्रभाव से बारिश आई थी। अब 26 जून के बाद से फिर से प्री मानसूनी हवा सक्रिय होंगी। 28 जून से 3 जुलाई के बीच मानसून आने की संभावना है । -डॉ मदन खिचड़, विभागाध्यक्ष, कृषि मौसम विज्ञान विभाग, एचएयू।