एक सीट से तीन बार संसद पहुंचने वाली प्रदेश की पहली महिला बनीं सैलजा

हरियाणा में 10 लोकसभा सीटों के आए चुनाव परिणामों ने दिग्गजों को चिंता में डाल दिया है। क्योंकि आने वाले कुछ महीनों में प्रदेश में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने वाला है। लोकसभा चुनाव के आए इन नतीजों का विधानसभा पर जरूर असर देखने को मिलेगा।

लोकसभा चुनाव में सिरसा सीट से उतरीं इंडिया गठबंधन प्रत्याशी कुमारी सैलजा को मतदाताओं ने भरपूर समर्थन दिया। 1991 और 96 के बाद सैलजा अब तीसरी बार सिरसा सीट से लोकसभा का चुनाव जीती हैं। परिवार की पारंपरिक सीट से टिकट की घोषणा होने के पहले दिन से ही कुमारी सैलजा भाजपा प्रत्याशी पर भारी पड़ी रही थीं।

इस सीट पर पारिवारिक पृष्ठभूमि होने के कारण सैलजा के साथ जिले के लोगों का भावनात्मक जुड़ाव देखने को मिला । वहीं भाजपा प्रत्याशी डॉ. अशोक तंवर 15 साल सिरसा में रहने के बाद भी मतदाताओं के दिल में जगह नहीं बना पाए। बहुसंख्यक मतदाता उन्हें दल-बदलु मानते रहे। सांगठनिक बदलाव से पार्टी नेताओं में उपजे असंतोष का भी नुकसान हुआ।

सिरसा संसदीय सीट पर जजपा (जननायक जनता पार्टी) और इनेलो (इंडियन नेशनल लोकदल) का खिसका जनाधार भी कांग्रेस के लिए फायदेमंद रहा। इनेलो का शहरी और ग्रामीण वोट बैंक कहीं न कहीं खिसककर कांग्रेस के समर्थन में चलाया गया। इससे कांग्रेस को और ज्यादा मजबूती मिली।

रतिया और टोहाना में आंदोलन प्रभाव

पंजाब में होने वाले बदलाव का असर सिरसा के कई क्षेत्र में देखने को मिलता है। इस चुनाव में सिरसा के किसानों ने पंजाब के किसानों के आंदोलन का समर्थन किया है। डबवाली, रानियां और कालांवाली में कांग्रेस प्रत्याशी को बहुत वोट मिले। रतिया और टोहाना क्षेत्र में भी आंदोलन प्रभावी रहा। आप (आम आदमी पार्टी) के समर्थन का भी कांग्रेस को फायदा मिला है। इतना ही नहीं कैबिनेट मंत्री चौधरी रणजीत सिंह का हिसार लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरने से भाजपा को बड़ा नुकसान हुआ। रानियां में सीधे तौर पर 40 प्रतिशत वोट बैंक कांग्रेस के खाते में चला गया। वहीं, डेरा सच्चा सौदा की ओर से अपने अनुयायियों को स्वतंत्र मतदान के लिए प्रेरित करना परिवर्तन का समर्थन करना रहा।

योगी का दौरा नहीं कर सका चमत्कार

चुनाव से पहले भाजपा में हुए संगठनात्मक बदलाव का असर सीधे डॉ. अशोक तंवर के चुनाव पर पड़ा। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल और सीएम नायब सैनी ने आकर भले ही दो बार संगठन को एकजुट करने का प्रयास किया, लेकिन वह कामयाब होते नजर नहीं नहीं आए। भाजपा नेताओं का डेरा-डेरा परिक्रमा भी काम नहीं आया। यही नहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का प्रचार के लिए आखिरी वक्त में सिरसा आना कोई चमत्कार नहीं कर पाया। हालांकि कांग्रेस की वरिष्ठ महिला नेता एवं स्टार प्रचारक प्रियंका गांधी के रोड शो को जनता का समर्थन मिला, जिसमें कांग्रेसी नेताओं ने अपनी ताकत दिखाई।

कांग्रेस प्रत्याशी जीत के तीन प्रमुख कारण

1. कुमारी सैलजा के साथ जिले के लोगों का भावनात्मक जुड़ाव
2. इनेलो-जजपा प्रत्याशी का कमजोर होना
3. लोकसभा चुनाव पर किसान आंदोलन का पड़ा व्यापक असर

भाजपा प्रत्याशी की हार के तीन प्रमुख कारण
1. भाजपा प्रत्याशी डॉ. अशोक तंवर के बार-बार दल बदलना लोगों को रास नहीं आया
2. संगठन में बदलाव और आंतरिक असंतोष का उठाना पड़ा नुकसान
3.. गांव-गांव में किसानों का विरोध पड़ा भारी, कांग्रेस को आप के समर्थन से भी तंवर को हुआ नुकसान

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