किसान आंदोलन के कारण पैसेंजर ट्रेनें ही नहीं ग्रीष्मकालीन अवकाश को लेकर संचालित की गई स्पेशल ट्रेनें भी बीच रास्ते अटकने लगी हैं। वहीं इनमें से कुछ का संचालन ही नहीं हो पाया है।
लंबी दूरी की रोजाना चलने वाली ट्रेनों की जानकारी तो देर-सवेर यात्रियों तक तो पहुंच रही है, लेकिन स्पेशल ट्रेनों की जानकारी खुद सहयोग केंद्र पर बैठे कर्मचारियों को नहीं है कि वो कब आएगी और बीच रास्ते कहां खड़ी हैं। दरअसल रेलवे ने ग्रीष्मकालीन अवकाश को देखते हुए स्पेशल ट्रेनों के संचालन की योजना तैयार की थी, जिससे कि भीड़भाड़ वाले रेल मार्गाें पर सफर करने वाले यात्रियों को राहत मिल सके, लेकिन रेलवे की इस योजना पर किसान आंदोलन ने पानी फेर दिया है।
ट्रेनों के संचालन की तारीख निर्धारित होने के बाद भी यह ट्रेनें पटरी पर नहीं उतर पाई हैं। इसमें ट्रेन नंबर 04553/54 सहारनपुर-अंबाला-सहारनपुर, 09097/98 बांद्रा-कटरा-बांद्रा, 04623/24 वाराणसी-कटरा-वाराणसी, 04517/18 गोरखपुर-चंडीगढ़-गोरखपुर स्पेशल ट्रेनें शामिल हैं। वहीं अन्य ट्रेनों 05005/06 गोरखपुर-अमृतसर को बदले मार्ग से, 04681/82 कोलकाता-जम्मूतवी-कोलकाता, 05049/50 छपरा-अमृतसर-छपरा को चंडीगढ़-साहनेवाल के रास्ते और 04529/30 वाराणसी-बठिंडा-वाराणसी और ट्रेन नंबर 04075/76 नई दिल्ली-कटरा-नई दिल्ली को धूरी-जाखल के रास्ते गंतव्य स्टेशन तक भेजा जा रहा है।
दो की जगह लग रहे छह घंटे
मौजूदा समय में चंडीगढ़ के रास्ते साहनेवाल होकर गंतव्य तक जाने वाली ट्रेनें घंटों देरी से चल रही हैं। अंबाला कैंट से लुधियाना तक दो घंटे का सफर पांच से छह घंटे में पूरा हो रहा है। इसी रेल मार्ग पर मालगाड़ियों के संचालन से यह हालात बने हुए हैं। रेलवे की कोशिश है कि यात्री देर-सवेर अपने गंतव्य तक पहुंच जाएं और इससे मालगाड़ियों द्वारा भेजी जा रही जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति भी ठप न हो। ऐसे में अगर यात्रियों को कुछ घंटों का अतिरिक्त सफर करना भी पड़े तो वो सही है क्योंकि देरी से चलने वाली ट्रेनों को रेलवे रद्द करने के मूड में नहीं है, इससे राजस्व की हानि होगी और यात्रियों को टिकट का रिफंड देना पड़ेगा।
प्लेटफार्म 1, 2/4 पर भीड़, 6/7 खाली
किसान आंदोलन के कारण पहले जहां अंबाला कैंट रेलवे स्टेशन पर दोनों दिशाओं में 300 से अधिक ट्रेनों का आवागमन होता था, वहीं अब 100 से अधिक ट्रेनों का संचालन ही बमुश्किल हो पा रहा है। ऐसे में अंबाला कैंट रेलवे स्टेशन पर कार्यरत वेंडरों को भी रोजी-रोटी के लाले पड़ गए हैं। प्राप्त जानकारी अनुसार प्लेटफार्म 1 और 2 4 को छोड़कर प्लेटफार्म 6 7 का बुरा हाल है। दिन और रात में यहां मात्र 10 से 12 ट्रेनें ही आ रही हैं। ऐसे में वेंडरों के लिए दिहाड़ी कमाना भी मुश्किल हो गया है। ऐसा ही हाल कुलियों को भी है जो कभी 100 तो कभी 200 रुपये दिहाड़ी लेकर घर जाने को मजबूर हो रहे हैं।
11 वें दिन भी प्रभावित रहीं 162 ट्रेनें
17 अप्रैल से शुरु हुआ किसान आंदोलन अभी तक जारी है। किसान अंबाला-लुधियाना रेल खंड पर शंभू रेलवे स्टेशन के पास ट्रैक पर बैठे हुए हैं। इसलिए किसान आंदोलन के 11 वें दिन भी 162 ट्रेनों का संचालन प्रभावित रहा। इस दौरान 69 ट्रेनों को पूर्णतौर पर रद्द रखा गया, जबकि 81 ट्रेनों को बदले मार्ग से संचालित किया गया और पांच ट्रेनों को बीच रास्ते रद्द करके पुन: संचालित किया गया।
किसान आंदोलन के कारण ट्रेनों का संचालन प्रभावित है, क्योंकि अंबाला से जाने वाली ट्रेनें एक ही ट्रैक पर चल रही हैं, इसलिए सुरक्षा को देखते हुए ट्रेन के चालकों व गार्ड आदि को विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं ताकि ट्रेन संचालन के दौरान किसी प्रकार कोई अप्रिय घटना न हो। रेलवे अधिकारी भी हालात पर नजर बनाए हुए हैं। -नवीन कुमार, वरिष्ठ वाणिज्य प्रबंधक, अंबाला मंडल।