अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने नए एच-1बी वीजा आवेदनों के लिए 1,00,000 डॉलर (88.74 लाख रुपये) की भारी-भरकम शुल्क लगा दिया है। ट्रंप का यह नियम 21 सितंबर से लागू भी हो गया है। ट्रंप प्रशासन की ओर से H-1B वीजा आवेदन पर लगाई गई मोटी फीस के बाद भारत में असमंजस क स्थिति बनी हुई है।
जानना चाह रहे हैं कि नए नियम क्या हैं, क्या नए नियमों का असर सिर्फ भारतीय छात्रों पर ही पड़ेगा, क्या यह नियम पहले से जारी वीजा और नवीनीकरण पर भी लागू होगा? H-1B वीजा आवेदन से जुड़े सभी सवालों के जवाब यहां पढ़ें..
सवाल: क्या हैं एच-1B वीजा पर ट्रंप के नए नियम?
डोनल्ड ट्रंप प्रशासन ने एच-1बी वीजा कार्यक्रम में कुछ बदलाव किए हैं,जो 21 सितंबर से लागू हो गए हैं। नए नियम के तहत हर नए एच-1बी वीजा आवेदन के साथ 100,000 डॉलर का शुल्क लगना शुरू हो गया है। यह नियम 21 सितंबर, 2025 से प्रभावी हो गया है।
सवाल: H-1B वीजा पर यह शुल्क क्यों लगाया?
ट्रंप प्रशासन का कहना है कि इससे एच-1बी वीजा के दुरुपयोग पर रोक लगेगी और अमेरिकी कर्मचारियों की नौकरियों भी सुरक्षित होंगी। इसके अलावा, एच-1बी वीजा को सिर्फ कुशल और महंगे टैलेंट को ही मिलना चाहिए।
सवाल: क्या सिर्फ भारतीय छात्रों पर ही असर पड़ेगा?
नहीं, यह असर सिर्फ भारतीय छात्रों व प्रोफेशनल्स पर ही नहीं, अन्य देशों के लोगों पर भी पड़ेगा। चीन, फिलीपींस, वियतनाम और यूरोप के कुछ देशों के छात्र और प्रोफेशनल्स H-1B पर अमेरिका जाते हैं। ये सब नए नियम से प्रभावित होते हैं। हां, प्रभावित होने वालों में सबसे अधिक संख्या भारतीय छात्रों और आईटी प्रोफेशनल्स की है। इसके अलावा, अमेरिकी कंपनिया भी प्रभावित होंगी, खासकर टेक कंपनियों को अब विदेशी टैलेंट हायर करना महंगा पड़ेगा।
क्या H-1B वीजा पर पहले भी शुल्क लगता था?
पुराने सिस्टम में H-1B वीजा आवेदन फीस, वकील की फीस और अन्य प्रोसेसिंग चार्ज मिलाकर लगभग 5,000–10,000 डॉलर तक का खर्च आता था। डोनल्ड ट्रंप ने अब इसके ऊपर 1,00,000 डॉलर की एक्स्ट्रा फीस लगा दी है। यानी कि H-1B वीजा लेने के लिए अब मोटी फीस यानी 1,10,000 डॉलर तक की फीस देनी होगी, जबकि पहले ज्यादा से ज्यादा 10 हजार डॉलर खर्च होते थे।
क्या यह नियम पहले से जारी वीजा और नवीनीकरण पर भी लागू होगा?
नहीं, ट्रंप का यह नियम पहले से जारी H-1B वीजा पर लागू नहीं होगा।
एच-1बी वीजा रिन्युअल (renewal) कराने वालों पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा।
21 सितंबर से पहले एच-1बी वीजा के लिए आवेदन करने वालों को भी बढ़ी हुई फीस नहीं देनी होगी।
क्या यह नियम लॉटरी पर भी लागू होगा?
हां, ट्रंप प्रशासन का एच-1बी वीजा पर फीस बढ़ाने वाला नियम 2026 की लॉटरी पर भी लागू होगा। उसके बाद आने वाले सभी नए आवेदन पर भी एक लाख डॉलर की फीस लगेगी।
भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स और स्टूडेंट्स के लिए इसका क्या मतलब है?
अब कंपनियों के लिए भारतीय इंजीनियर और टेक्निकल एक्सपर्ट को अमेरिका भेजना बेहद मंहगा हो गया है। अब 1,00,000 की फीस लगने के चलते कई कंपिनयां H-1B वीजा पर भारतीयों को भर्ती करने से बचेंगी।
ऐसे में एंट्री लेवल इंजीनियर और नए ग्रेजुएट्स के लिए वीजा मिलना कठिन होगा, क्योंकि वेतन कम होता है। हाई स्किल (AI, डेटा साइंस, चिप डिजाइन, साइबर सिक्योरिटी) वाले जिनकी सैलरी $1.5 लाख + (करीब 1.33 करोड़ रु.) है, उन्हें लाभ होगा। यानी कि अब भारतीयों के लिए अमेरिका में रोजगार के अवसर कम हो सकते हैं।
भारतीय छात्र स्टडी कंप्लीट करने के बाद अमेरिका में नौकरी करना चाहते हैं, उनके लिए H-1B वीजा लेना अब महंगा और मुश्किल हो गया है। ऐसे में भारतीय छात्र कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप समेत अन्य देशों की ओर रुख कर सकते हैं।
भारतीय कंपनियों का क्या?
टीसीएस, इन्फोसिस और विप्रो जैसी कंपनियां ज्यादातर एंट्री व मिड लेवल कर्मचारियों को ही भेजती हैं, उन्हें मुश्किल होगी। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन जैसी कंपनियां हाई स्किल कर्मचारी लेती हैं, उन्हें फायदा मिलेगा।
क्या H-1B वीजा होल्डर्स को अब अमेरिका जाने-आने में परेशानी होगी?
नहीं। ट्रंप प्रशासन का नया नियम H-1B वीजा होल्डर्स पर किसी तरह का असर नहीं डालता है। यह नियम जद में सिर्फ H-1B वीजा के लिए आवेदन करने वाले ही आएंगे, जिनके पास पहले से H-1B वीजा है, वे बिना किसी दिक्कत के अमेरिका आ-जा सकते हैं।