टैक्स चोरी मामले को लेकर जीएसटी अधिकारियों की नजर छोटे रेस्टोरेंट और बी2सी कारोबारियों पर है.
आने वाले दिनों में छोटे रेस्टोरेंट और बी2सी कारोबारियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. दरअसल, जीएसटी अधिकारियों की इन कारोबारियों पर नजर है. आरोप है कि ये कारोबारी ग्राहकों से टैक्स वसूली तो करते हैं लेकिन उसे सरकारी खजाने में जमा नहीं करा रहे हैं. जानकारी के मुताबिक ऐसे मामलों से निपटने के लिए जीएसटी अधिकारी एक प्रणाली भी तैयार करने में लगे हैं.
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘हमें उपभोक्ताओं से ऐसी कई शिकायतें मिलीं हैं कि जीएसटी रिटर्न दाखिल नहीं करने वाली कई इकाइयां ग्राहकों से जीएसटी वसूल रहीं हैं. कुछ उपभोक्ताओं ने छोटे स्थानीय रेस्टोरेंट द्वारा जीएसटी वसूले जाने की शिकायत की है. ये रेस्टोरेंट जबकि कंपोजीशन योजना के तहत आते हैं.’’ अधिकारी के मुताबिक शिकायतों की संख्या काफी ज्यादा है.
दरअसल, बीते कुछ समय में कई उपभोक्ताओं ने मोबाइल ऐप इरिस पेरिडॉट (IRIS Peridot) के जरिए शिकायत दर्ज कराई है कि छोटे रेस्टोरेंट में उनसे जीएसटी वसूला जा रहा है. लेकिन इस टैक्स को सरकारी खजाने में जमा नहीं कराया गया और न ही इन रेस्टोरेंट ने जीएसटी रिटर्न दाखिल किया. अहम बात यह है कि इस ऐप को कई ग्राहकों ने डाउनलोड किया है.
यह ऐप जीएसटी सुविधा प्रदाता द्वारा विकसित की गई है. इसमें कारोबारी के अलावा सर्विस प्रोवाइड के जीएसटी पहचान संख्या को स्कैन कर यह पता किया जा सकता है कि उस कारोबारी ने रिटर्न दाखिल किया है अथवा नहीं.
बता दें कि डेढ़ करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाले छोटे व्यवसायों को कंपोजीशन योजना लेने का विकल्प है. व्यवसायों को लेकर प्रत्येक तिमाही रिटर्न दाखिल करनी होती है लेकिन कंपोजीशन योजना अपनाने वाले कारोबारी ग्राहकों से जीएसटी नहीं वसूल सकते हैं.
कारोबारियों को अपने बिल या चालान पर भी यह लिखना होगा कि वह कंपोजीशन योजना के तहत आते हैं इसलिये माल की आपूर्ति अथवा दी गई सेवा पर जीएसटी लेने के हकदार नहीं है.