केंद्र सरकार ने जूट किसानों को राहत दी है। जूट के न्यूनतम मूल्य वाले आदेश की समय सीमा में इजाफा कर दिया गया है। इस महीने जूट की बंपर फसल के कारण किसानों को नुकसान होने से बचाने के लिए जूट के लिए न्यूनतम मूल्य तय किया गया था। अब इस न्यूनतम मूल्य की समय सीमा 31 दिसंबर, 2023 की बजाय बढ़ाकर 31 जनवरी, 2024 या फिर अगले आदेश तक कर दी गई है। बता दें जूट की पैदावार को देखते हुए जूट कमिश्नर ने न्यूनतम मूल्य आदेश जारी किया था।
बीते 5 अक्टूबर को एक अधिसूचना में जूट आयुक्त ने ‘गोल्डन फाइबर’ यानी जूट की बंपर फसल के लिए न्यूनतम मूल्य तय करने की घोषणा की थी। अधिसूचना के अनुसार खेत के स्तर पर जूट की न्यूनतम कीमत 5,050 रुपये प्रति क्विंटल और कोलकाता में डिलिवरी के लिए 5,500 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई है। इस फैसले का स्वागत किया गया था क्योंकि सबसे अधिक कारोबार वाली किस्म टीडी5 की औसत कच्चे जूट की कीमतें फिसलकर 4,100 रुपये तक गिर गई थीं। जूट आयुक्त मलय चंद्र चक्रवर्ती ने कहा था कि ‘‘कोई भी खरीदार या विक्रेता इस आदेश में निर्दिष्ट दरों के अलावा अन्य पर लेनदेन करने का हकदार नहीं होगा।”
बता दें कि जूट किसानों ने हाल ही में नादिया, मुर्शिदाबाद, उत्तर दिनाजपुर, उत्तर 24-परगना और हुगली जिलों में अपनी उपज के लिए बेहतर कीमतों और एमएसपी में वृद्धि की मांग करते हुए प्रदर्शन किया था। उन्होंने सड़कों को अवरुद्ध कर और जूट की गांठों में आग लगाकर अपनी मांग रखी थी। पश्चिम बंगाल में लगभग पांच से छह लाख लोग जूट की खेती करते हैं।
किसान भारतीय जूट निगम के संग्रह केंद्रों पर अपनी उपज बेच सकते हैं, ऐसे में जूट की न्यूनतम कीमत तय करने की जरूरत पर चक्रवर्ती ने कहा कि ऐसे केंद्रों के माध्यम से पूरी खेतिहरों की आबादी को कवर हर समय संभव नहीं होता है। ऐसे में यह आदेश किसानों और जूट के सामान निर्माताओं दोनों को सहायता पहुंचाने के लिए जारी किया गया है।