पाकिस्तान एफएटीएफ के जाल में पूरी तरह से फंस चुका है। अगर उसे फाइनेंसिएल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की निगरानी सूची से बाहर निकलना है तो भारत में आतंकी वारदात को अंजाम देने वाले आतंकियों जैसे दाउद इब्राहिम, जकी-उर-रहमान लखवी, जैश सरगना मौलाना मसूद अजहर और लश्कर सरगना हाफिज सईद और इनके सहयोगियों के समूचे अर्थ तंत्र को खत्म करना होगा और इसके सबूत अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के सामने रखने होंगे।
छह महत्वपूर्ण कार्यों को देना होगा अंजाम
आतंकी फंडिंग रोकने व गैर कानूनी तरीके से नकदी हस्तांतरण पर लगाम लगाने के लिए गठित एफएटीएफ ने शुक्रवार को कहा है कि पाकिस्तान अभी निगरानी सूची (ग्रे लिस्ट) में बना रहेगा। इससे बाहर निकलने के लिए इमरान खान सरकार को फरवरी, 2021 तक छह महत्वपूर्ण कार्यों को अंजाम देना होगा। इन छह कार्यों में यह भी शामिल है कि पाकिस्तान हर तरह की आतंकी फंडिंग पर रोक लगाने की पुख्ता व्यवस्था करे।
आतंकी संगठनों की फंडिंग रोके पाक
एफएटीएफ ने पाक सरकार को 27 कार्य सौंपे थे। पाकिस्तान सरकार ने इनमें से 21 कार्य पूरे कर इसकी रिपोर्ट भी सौंप दी है। एफएटीएफ ने इसके लिए पाक सरकार की तारीफ भी की है। लेकिन शेष बचे छह कार्य ऐसे हैं जो सबसे महत्वपूर्ण हैं। इनमें पहला कार्य यह है कि पाकिस्तान सरकार की एजेंसियां आतंकी संगठनों की फंडिंग रोकने की हर मुमकिम कोशिश करें। आतंकी फंडिंग के तमाम मामलों की जांच करें, आतंकी संगठनों व आतंकियों के खिलाफ तमाम मामलों की जांच करें।
आतंकी संगठनों पर प्रतिबंध लगाये जाएं
दूसरा कार्य है आतंकी फंडिंग से जुड़े मामलों की जांच के बाद प्रभावशाली तरीके से प्रतिबंध लगाये जाएं। तीसरा कार्य है पाकिस्तान सरकार संयुक्त राष्ट्र की तरफ से 1267 व 1373 प्रावधानों के तहत घोषित आतंकियों व इनकी तरह से काम करने वाले आतंकियों के खिलाफ संपूर्ण तरीके से वित्तीय प्रतिबंध लगाने की व्यवस्था करे। इनकी तरफ से किसी भी तरह से वित्तीय सुविधा जुटाने की कोशिशों को प्रतिबंधित करे।
इनकी सभी संपत्तियों को जब्त करे व वे सारे कदम उठाए जिससे इनके लिए फंड जुटाना असंभव हो जाए। साफ है कि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को हर हाल में बताना होगा कि उसने दाऊद, लखवी, अजहर जैसे आतंकियों के ढांचे को तबाह कर दिया है।
भारत को इन आतंकियों की तलाश
खास बात यह है कि पाकिस्तान को एफएटीएफ के दबाव में जिन आतंकियों पर कार्रवाई करनी है उन सभी की भारत को भी अरसे से तलाश है। लखवी व हाफिज सईद की तलाश जहां मुंबई बम विस्फोट के सिलसिले में है वहीं जैश सरगना अजहर की तलाश पठानकोट हमले समेत कई अन्य आतंकी वारदातों में शामिल होने की वजह से है।
नई डेट लाइन दी
एफएटीएफ के प्रेसिडेंट मार्कस प्लेयर ने वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि पाकिस्तान को जो वक्त दिया गया था वह समाप्त हो चुका है। हम पाकिस्तान को सख्त चेतावनी देते हैं कि वह फरवरी-2021 तक शेष बचे कार्यों को पूरा करे। उन्होंने स्वीकार किया कि पाकिस्तान ने अपनी तरह से काफी मेहनत की है। लेकिन निगरानी सूची से बाहर आने के लिए उसे अभी काफी कुछ करना है।
ब्लैक लिस्ट होने से बचा पाक
उन्होंने यह भी बताया कि एक बार पाकिस्तान की तरफ से सभी 27 कार्योंं को पूरा कर लिया जाता है तो एफएटीएफ की टीम वहां का दौरा करेगी और उसकी सत्यता का पता लगाएगी। उसके बाद ही उसे निगरानी सूची (ग्रे लिस्ट) से बाहर निकालने पर फैसला होगा। पाकिस्तान जून, 2018 से ही ग्रे लिस्ट में है। 27 में से 21 कार्य पूरा होने की वजह से पाकिस्तान प्रतिबंधित सूची (ब्लैक लिस्ट) में शामिल होने से बच गया है।
पाकिस्तान एफएटीएफ के जाल में पूरी तरह से फंस चुका है। अगर उसे फाइनेंसिएल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की निगरानी सूची से बाहर निकलना है तो भारत में आतंकी वारदात को अंजाम देने वाले आतंकियों जैसे दाउद इब्राहिम, जकी-उर-रहमान लखवी, जैश सरगना मौलाना मसूद अजहर और लश्कर सरगना हाफिज सईद और इनके सहयोगियों के समूचे अर्थ तंत्र को खत्म करना होगा और इसके सबूत अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के सामने रखने होंगे।
छह महत्वपूर्ण कार्यों को देना होगा अंजाम
आतंकी फंडिंग रोकने व गैर कानूनी तरीके से नकदी हस्तांतरण पर लगाम लगाने के लिए गठित एफएटीएफ ने शुक्रवार को कहा है कि पाकिस्तान अभी निगरानी सूची (ग्रे लिस्ट) में बना रहेगा। इससे बाहर निकलने के लिए इमरान खान सरकार को फरवरी, 2021 तक छह महत्वपूर्ण कार्यों को अंजाम देना होगा। इन छह कार्यों में यह भी शामिल है कि पाकिस्तान हर तरह की आतंकी फंडिंग पर रोक लगाने की पुख्ता व्यवस्था करे।
आतंकी संगठनों की फंडिंग रोके पाक
एफएटीएफ ने पाक सरकार को 27 कार्य सौंपे थे। पाकिस्तान सरकार ने इनमें से 21 कार्य पूरे कर इसकी रिपोर्ट भी सौंप दी है। एफएटीएफ ने इसके लिए पाक सरकार की तारीफ भी की है। लेकिन शेष बचे छह कार्य ऐसे हैं जो सबसे महत्वपूर्ण हैं। इनमें पहला कार्य यह है कि पाकिस्तान सरकार की एजेंसियां आतंकी संगठनों की फंडिंग रोकने की हर मुमकिम कोशिश करें। आतंकी फंडिंग के तमाम मामलों की जांच करें, आतंकी संगठनों व आतंकियों के खिलाफ तमाम मामलों की जांच करें।
आतंकी संगठनों पर प्रतिबंध लगाये जाएं
दूसरा कार्य है आतंकी फंडिंग से जुड़े मामलों की जांच के बाद प्रभावशाली तरीके से प्रतिबंध लगाये जाएं। तीसरा कार्य है पाकिस्तान सरकार संयुक्त राष्ट्र की तरफ से 1267 व 1373 प्रावधानों के तहत घोषित आतंकियों व इनकी तरह से काम करने वाले आतंकियों के खिलाफ संपूर्ण तरीके से वित्तीय प्रतिबंध लगाने की व्यवस्था करे। इनकी तरफ से किसी भी तरह से वित्तीय सुविधा जुटाने की कोशिशों को प्रतिबंधित करे।
इनकी सभी संपत्तियों को जब्त करे व वे सारे कदम उठाए जिससे इनके लिए फंड जुटाना असंभव हो जाए। साफ है कि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को हर हाल में बताना होगा कि उसने दाऊद, लखवी, अजहर जैसे आतंकियों के ढांचे को तबाह कर दिया है।
भारत को इन आतंकियों की तलाश
खास बात यह है कि पाकिस्तान को एफएटीएफ के दबाव में जिन आतंकियों पर कार्रवाई करनी है उन सभी की भारत को भी अरसे से तलाश है। लखवी व हाफिज सईद की तलाश जहां मुंबई बम विस्फोट के सिलसिले में है वहीं जैश सरगना अजहर की तलाश पठानकोट हमले समेत कई अन्य आतंकी वारदातों में शामिल होने की वजह से है।
नई डेट लाइन दी
एफएटीएफ के प्रेसिडेंट मार्कस प्लेयर ने वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि पाकिस्तान को जो वक्त दिया गया था वह समाप्त हो चुका है। हम पाकिस्तान को सख्त चेतावनी देते हैं कि वह फरवरी-2021 तक शेष बचे कार्यों को पूरा करे। उन्होंने स्वीकार किया कि पाकिस्तान ने अपनी तरह से काफी मेहनत की है। लेकिन निगरानी सूची से बाहर आने के लिए उसे अभी काफी कुछ करना है।
ब्लैक लिस्ट होने से बचा पाक
उन्होंने यह भी बताया कि एक बार पाकिस्तान की तरफ से सभी 27 कार्योंं को पूरा कर लिया जाता है तो एफएटीएफ की टीम वहां का दौरा करेगी और उसकी सत्यता का पता लगाएगी। उसके बाद ही उसे निगरानी सूची (ग्रे लिस्ट) से बाहर निकालने पर फैसला होगा। पाकिस्तान जून, 2018 से ही ग्रे लिस्ट में है। 27 में से 21 कार्य पूरा होने की वजह से पाकिस्तान प्रतिबंधित सूची (ब्लैक लिस्ट) में शामिल होने से बच गया है।