2D टेक्नोलॉजी से तैयार चीजों को हम सपाट रूप में केवल एक ही कोण में देख सकते हैं जबकि 3D टेक्नोलॉजी से तैयार चीजों को हम मल्टी डायमेंशनल रूप में देख और महसूस कर सकते हैं।
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आज का समय टेक्नोलॉजी का समय माना जाता है क्योंकि वर्तमान समय में कोई भी कार्य बिना टेक्नोलॉजी के करना संभव नहीं है। टेक्नोलॉजी के साथ फिल्मों को बनाने और देखने में भी तेजी से बदलाव आया है। आप सभी फिल्में तो जरूर देखते होंगे। लेकिन जब आप थिएटर में फिल्म के लिए टिकट लेने जाते हैं तो उसमें 2D और 3D लिखा देखा होगा। इसके साथ आपको इन दोनों टिकेट्स के रेट में असमानता देखने को मिली होगी। लेकिन ऐसा क्यों होता है आपने कभी सोचा है। 2D और 3D टेक्नोलॉजी में क्या अंतर है इसकी बारे में आपको पता है? अगर नहीं तो आज इन सभी सवालों का जवाब आप यहां से प्राप्त कर सकते हैं।
क्या होता है 2D?
2D को फुल फॉर्म टू-डायमेंशनल हैं। जैसे कि इसके नाम से ही पता चलता है कि यह टेक्नोलॉजी द्विआयामी यानी कि टू-डायमेंशनल है। इस टेक्नोलॉजी चीजें केवल दो दिशाओं में देख सकते हैं और वो है लंबाई एवं चौड़ाई। इस तकनीक के जरिये जब आप कोई छवि या फिल्म देखते हैं तो वो केवल एक ही कोण में देख सकते हैं। 2D टेक्नोलॉजी 3D के मुकाबले सस्ता होता है इसलिए अभी भी बॉलीवुड में बहुत सी फिल्में 2D टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके बनाई जाती हैं। इससे फिल्मों को बनाने में कम खर्चा करना पड़ता है।
जानें किसे कहते हैं 3D?
3D को फुल फॉर्म थ्री-डायमेंशनल हैं। यह टेक्नोलॉजी तीन दिशाओं पर काम करती है जिसमें ऊंचाई, चौड़ाई के साथ गहराई को भी दर्शाया जा सकता है। 3D टेक्नोलॉजी 2D के मुकाबले मंहगी टेक्नोलॉजी है और इसका उपयोग गेम और फिल्मों को बनाने में ज्यादातर किया जाता है। इस टेक्नोलॉजी से बनाई गयी फिल्में देखने वालों को लाइव स्थिति का अनुभव प्रदान करने का काम करती है। 3डी तकनीक तीन प्रकारों- Read 3D, MasterImage 3D एवं Dolby 3D के रूप में जाना जाता है। इस टेक्नोलॉजी से बनाई गयी फिल्मों का बजट ज्यादा होता है इसलिए इसकी टिकेट्स भी मंहगे होते हैं।
2D और 3D में प्रमुख अंतर क्या हैं?
2D टेक्नोलॉजी टू-डायमेंशनल होती हैं जिसमें केवल ऊंचाई और चौड़ाई को दर्शाया जा सकता है तो वहीं 3D टेक्नोलॉजी थ्री-डायमेंशनल होती है जिसमें लंबाई, चौड़ाई के साथ गहराई को भी दर्शाया जाता है। 2D टेक्नोलॉजी से बनी फिल्मों, छवियों आदि को आप सपाट रूप में कागज, टीवी कंप्यूटर आदि पर देख पाते हैं लेकिन 3D को आप लाइव महसूस करते हैं। इसमें ऐसा महसूस होता है कि आप उसी जगह पर हैं। जहां 2D टेक्नोलॉजी सस्ती पड़ती है वहीं 3D टेक्नोलॉजी काफी मंहगी होती है इसीलिए आपको इन दोनों के टिकेट्स रेट में भी अंतर देखने को मिलता है। 2D टेक्नोलॉजी के द्वारा तैयार किये गए एनीमेशन एक तरीके से ट्रेडिशनल माना जाता है वहीं 3D द्वारा तैयार की गयी फिल्म या छवि पूरी तरह से कंप्यूटर द्वारा तैयार की जाती हैं और यह एनीमेशन पूरी तरह से मूवमेंट के आधार पर तैयार होता है।