इस बार के वित्तीय वर्ष में दिल्ली मेट्रो के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। वहीं, इलेक्ट्रिक बसों के लिए 510 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है। सड़क और फ्लाईओवर परियोजनाओं के लिए बजट में 1768 करोड़ रुपये प्रस्तावित किया गया है।
दिल्ली सरकार ने सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने के लिए बजट में विशेष प्रावधान किया है। इलेक्ट्रिक बसों का बेड़ा बढ़ाने और मेट्रो फेज- 4 के निर्माणाधीन तीन कॉरिडोर के लिए एक हजार करोड़ रुपये से अधिक प्रस्तावित किया गया है। साथ ही सड़क और अन्य आधारभूत ढांचा के लिए 1768 करोड़ रुपये और सार्वजनिक परिवहन तकनीक को बेहतर बनाने के लिए 5702 करोड़ रुपये प्रस्तावित किया है।
विधानसभा में वित्त मंत्री आतिशी ने सोमवार को बजट पेश करने के दौरान कहा कि दिल्ली में 7582 बसों का बेड़ा है। इनमें रोजाना 41 लाख से अधिक यात्री सफर करते हैं। इसे और बढ़ाने की दिशा में 1,900 नई इलेक्ट्रिक बसों के लिए कंसेशन एग्रीमेंट साइन किया जा चुका है। बजट में इलेक्ट्रिक बसों के लिए 510 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है। डीटीसी और क्लस्टर बसों में पिंक टिकट के जरिये महिलाओं की मुफ्त यात्रा योजना जारी रखने के लिए वित्त वर्ष 2024-25 में 340 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। आने वाले सालों में दिल्ली में कुल 10480 बसें चलाए जाने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें 80 प्रतिशत इलेक्ट्रिक बसें होंगी।
500 करोड़ रुपये मेट्रो के लिए
वित्त मंत्री ने कहा कि मार्च 2015 तक दिल्ली मेट्रो का कुल रेल नेटवर्क 193 किलोमीटर और स्टेशनों की संख्या 143 थी। अब बीते नौ वर्ष में मेट्रो का कुल नेटवर्क की लंबाई दोगुनी होकर 393 किलोमीटर हो गई है और स्टेशनों की संख्या 288 हो गई है। वर्ष 2014 तक मेट्रो में रोजाना 24 लाख लोग यात्रा करते थे। वर्तमान में यह आंकड़ा 60 लाख हो गया है। मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के प्रयास से दिल्ली मेट्रो के फेज-4 का रास्ता साफ हो चुका है। इसके तहत जनकपुरी वेस्ट से रामकृष्ण आश्रम कॉरिडोर, दिल्ली एयरोसिटी से तुगलकाबाद स्टेशन कॉरिडोर, मजलिस पार्क से मौजपुर कॉरिडोर के कुल तीन कॉरिडोर के निर्माण के लिए एमओयू को मंजूरी दी गई है। 65.2 किलोमीटर के इन तीनों मेट्रो कॉरिडोर पर 45 स्टेशन बनाए जाएंगे। इस बार के वित्तीय वर्ष में दिल्ली मेट्रो के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
फ्लाईओवर और अंडरपास दिलाएंगे जाम से राहत
बीते 10 वर्ष में दिल्ली में फ्लाईओवरों का एक विशाल नेटवर्क तैयार हुआ है। विगत नौ वर्ष में दिल्ली सरकार ने 30 नए फ्लाईओवर, एलिवेटेड कॉरिडोर और अंडरपास का निर्माण किया है। वित्त मंत्री आतिशी ने बजट पेश करने के दौरान कहा कि दुनिया के किसी भी राज्य में सड़कों की गुणवत्ता से इकॉनमी की रफ्तार तय होती है। वर्तमान में दिल्ली में कई फ्लाईओवर और एलिवेटेड कॉरिडोर पर काम तेजी से चल रहा है। जो वर्ष 2024-25 में दिल्ली वालों को समर्पित किए जाएंगे। पंजाबी बाग फ्लाईओवर और राजा गार्डन फ्लाईओवर के बीच इंटीग्रेटेड कॉरिडोर का काम तेजी से चल रहा है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के अंत तक दिल्ली में छह नए फ्लाईओवर दिल्ली वालों को समर्पित किए जाएंगे। सड़क और फ्लाईओवर परियोजनाओं के लिए वर्ष 2024-25 के बजट में 1768 करोड़ रुपये प्रस्तावित किया गया है।
विद्यार्थियों के स्टार्टअप पर खर्च किए जाएंगे 40 करोड़ रुपये
दिल्ली सरकार छात्रों के स्टार्टअप में 40 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। बजट भाषण में वित्त मंत्री आतिशी ने बताया कि बिजनेस ब्लास्टर्स के तहत साल 2023-24 में 2 लाख 40 हजार छात्रों ने लगभग 38 हजार टीमें बनाकर अपने बिजनेस आइडिया पर काम किया है। दिल्ली में युवाओं को स्किल्ड और जॉब रेडी बनाने की दिशा में आईटीआई महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। वर्तमान में 19 आईटीआई चला रही है। पिछले साल आईटीआई से निकलने वाले 10 हजार से अधिक छात्रों को मशहूर कंपनियों में नौकरियां मिली है।
उन्होंने बताया कि दिल्ली सरकार की यूनिवर्सिटीज में पढ़ने वाले छात्रों को अच्छी नौकरियां मिल रही हैं। उन्होंने कहा कि आंत्रप्रेन्योरशिप ही देश की बेरोजगारी को कम कर सकता है। इस दिशा में 2019 में स्कूलों में आंत्रप्रेन्योरशिप माइंडसेट करिकुलम की शुरुआत की थी। इसमें प्रैक्टिकल कंपोनेंट बिजनेस ब्लास्टर्स के तहत दिल्ली सरकार के स्कूलों में 11वीं और 12वीं कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों को 2 हजार रुपये का सीड मनी दिया जाता है। जिससे वो अपने सहपाठियों के साथ मिलकर कोई छोटा स्टार्टअप शुरू कर सकें।
85% रहा प्लेसमेंट पैकेज इंदिरा गांधी दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी फॉर वुमन का
दिल्ली स्किल एंड आंत्रप्रेन्योरशिप यूनिवर्सिटी में 18 हजार 529 छात्र स्किल रिलेटेड कोर्स पढ़ रहे है। इस वर्ष छात्रों को 10 लाख तक का सालाना पैकेज भी मिला है। वहीं, 2023-24 में इंदिरा गांधी दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी फॉर वुमन (आईजीडीटीयूडब्ल्यू) में प्लेसमेंट रेट 85 प्रतिशत रहा। इस वर्ष यहां उच्चतम सैलरी पैकेज 82 लाख रुपये रहा है। आईआईआईटी दिल्ली में प्लेसमेंट रेट 75 प्रतिशत रहा। यहां उच्चतम पैकेज 49 लाख रुपये रहा। एनएसयूटी में प्लेसमेंट 2023-24 में 75 प्रतिशत रहा। इस वर्ष यहां का 80 लाख का पैकेज गया है।
9 साल में शिक्षण प्रक्रिया में किया बदलाव : आतिशी
आतिशी ने बताया कि पिछले 9 साल में दिल्ली सरकार की यूनिवर्सिटीज में पढ़ने-पढ़ाने की प्रक्रिया में बदलाव किए हैं। मौजूदा समय की जरूरतों को समझते हुए इनमें रोबोटिक्स, आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस, बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन, डिजाइन, आर्किटेक्चर, ऑटो-मोबाइल इंजीनियरिंग आदि के क्षेत्र में कई आधुनिक डिग्री और डिप्लोमा कोर्स शुरू किए हैं, ताकि युवा आने वाले कल की इकोनॉमिक के लिए तैयार हो सके।
उन्होंने बताया कि आईआईटी दिल्ली में पढ़ने वाले अनंत शर्मा ने 2019 में अपनी ग्रेजुएशन के दिनों में ही ट्वीक लैब्स नाम का स्टार्टअप शुरू किया था। यह एक नए किस्म की स्पोर्ट्स तकनीक का आविष्कार था। इनकी कम्पनी ने तरक्की कर मशहूर बिजनेस शो शार्क टैंक में जगह मिली है। इस दौरान उन्होंने 60 लाख रुपये की फंडिंग प्राप्त की है।
पेयजल और सीवर व्यवस्था में ऐतिहासिक कार्य : आतिशी
वित्त मंत्री आतिशी ने दावा किया है कि केजरीवाल सरकार ने बीते नौ साल के दौरान पेयजल आपूर्ति व सीवर व्यवस्था में ऐतिहासिक कार्य किया है। सरकार ने नौ साल में 934000 हजार घरों में पानी देने का कार्य किया। सरकार ने 169 एमजीडी पानी का उत्पादन बढ़ाया। उन्होंने आगामी वर्ष के दौरान पानी व सीवर सुविधा में विस्तार के लिए जल बोर्ड के 7195 करोड़ रुपये का प्रावधान किया। उन्होंने बताया कि अनधिकृत कालोनियों और झुग्गियों में युद्ध स्तर पर पानी की पाइप लाइन बिछाई गई है। आज 99.6 प्रतिशत अनधिकृत कालोनियों में पानी की पाइपलाइन मौजूद है। वित्त मंत्री आतिशी ने अनधिकृत कालोनियों की दशा और दिशा बदलने के लिए युद्ध स्तर पर काम करने का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि दिल्ली में लगभग 1800 अनधिकृत कालोनियां है और उसमें दिल्ली की 30 प्रतिशत आबादी रहती है, मगर उनमें एक भी सुविधा नहीं थी। अब इन कालोनियों में सभी सुविधाए उपलब्ध है।वर्ष 2024-25 में अनधिकृत कालोनियों के विकास के लिए बजट में 902 करोड़ का प्रावधान किया गया है।
‘बजट में हर क्षेत्र तबके का ध्यान’
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दावा किया कि दिल्ली सरकार के वित्त वर्ष 2024-25 के लिए बजट में हर क्षेत्र व तबके के लोगों का ध्यान रखा गया है। मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना महिला सशक्तीकरण की दिशा में उठाया गया शायद विश्व का सबसे बड़ा कदम है। इस योजना से करीब 45 से 50 लाख महिलाओं को फायदा होगा।
केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में अब एक बहुत ही ईमानदार सरकार है, जो एक-एक पैसा बचाती है। हमने पहले बिजली फ्री की, पानी फ्री किया, शिक्षा फ्री की, इलाज फ्री किया, बुजुर्गों की तीर्थयात्रा फ्री की और महिलाओं का बसों में सफर फ्री किया। हमारी सरकार पैसा बचा-बचाकर जनता तक पहुंचाती है। पहले ऐसा क्यों नहीं हो पाया? क्योंकि दूसरी पार्टी वाले जनता का सारा पैसा खा जाते हैं। हमने एक-एक पैसा बचा-बचा कर जनता पर खर्च किया है। हम कई सालों से सोच रहे थे कि हर महिला को हम एक-एक हजार रुपये देंगे और यह सपना इस साल जाकर पूरा हुआ। इस योजना के लागू होने से दिल्ली की अर्थव्यवस्था में बहुत उछाल आएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना को लागू होने में कोई अड़चन आने पर उससे लड़ेंगे और इसको लागू कराएंगे। अभी तक हमने लड़-लड़ कर अनेक काम कराए हैं, लिहाजा ये भी काम कराएंगे।
‘प्रति व्यक्ति आय बढ़ रही तो राजस्व कैसे घट रहा’
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि 2015 के बजट के बाद से अरविंद केजरीवाल सरकार देश में सबसे अच्छे बजट में से एक देने का दावा कर रही है, जिसमें बाजार विकास पर बड़े दावों के अलावा शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों के लिए सबसे बड़ी हिस्सेदारी दर्शाती है। अनधिकृत कॉलोनियों में विकास के दावे करती है लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि दिल्ली सरकार के बजट ने दिल्लीवासियों को विकास के मामले में बार-बार निराश किया है और इस साल का बजट भी दिल्ली को निराश कर देगा।
सचदेवा ने कहा कि केजरीवाल सरकार का यह आखिरी चुनावी बजट है और उन्होंने बजट को रामराज्य बजट कहकर गैलरी में खेलने की कोशिश की है, हालांकि इसमें लोगों के लिए कुछ भी नया नहीं है और वास्तव में वह विकास परियोजनाओं पर चुप है। दिल्ली में प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी का दावा किया है, लेकिन दूसरी तरफ बजट आंकड़ों में अनुमानित राजस्व संग्रह में भारी कमी है। पिछले साल दिल्ली का कुल बजट 73,760 करोड़ रुपये का था एवं राजस्व 63,374 करोड़ था, लेकिन इस साल बजट 76,000 करोड़ का है, लेकिन अनुमानित राजस्व घटकर 58,700 करोड़ रह गया है।
राम का नाम बदनाम न करें केजरीवाल : प्रवीण शंकर कपूर
प्रदेश भाजपा प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा कि भाजपा के पक्ष में चल रही राम लहर से दिल्ली के मुख्यमंत्री बौखला गए हैं। उन्हें इस मुद्दे पर ठीक से राजनीति करनी नहीं आती। पहले वह रामराज्य की अवधारणा को समझें। उनके रामराज्य में अपनों के लिए घोटाला और जनता के लिए वनवास होगा। 9 साल से मुस्लिम तुष्टीकरण, भ्रष्टाचार, घोटालों, विकास बाधित करने के आरोपों में घिरी केजरीवाल सरकार को अचानक से रामराज्य बजट की कल्पना आ गई है। वह राम का नाम बदनाम न करें तो बेहतर होगा। रामराज्य जैसे पवित्र शब्द का इस्तेमाल नहीं करें।
आप ने कांग्रेस की पूर्व सरकार को घेरा
वित्त मंत्री आतिशी ने बजट पेश करने के दौरान सभी योजनाओं पर पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार को घेरा। साथ ही कई योजनाओं की तुलना 2014 के पहले की सरकार से की। सड़क, बिजली, पानी, मेट्रो, स्वास्थ्य, शिक्षा, फ्लाइओवर समेत हर योजना पर कटाक्ष करते हुए अपनी सरकार को शत प्रतिशत अंक दिया है। 2014 से पहले कांग्रेस की सरकार थी और इसे ही पार्टी अपना विकास माॅडल बताती रही है।
लिहाजा यह मुद्दा भी आम आदमी पार्टी ने सधी हुई राजनीति के तहत कांग्रेस से छीन लिया है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी यह कह सकने की स्थिति में भी नहीं होंगे कि पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के विकास की नींव पर ही दिल्ली का विकास संभव हो सका है। इन सभी मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी ने भी फिलहाल चुप्पी साधे हुए है।
आप सरकार ने सिलसिलेवार तरीके से पिछली सरकार की नाकामियों को अपने प्रस्तावित बजट में गिनाया है। वित्त मंत्री आतिशी ने बजटीय भाषण में कहा कि दिल्ली में शिक्षा की तस्वीर पिछले 10 साल में बदली है। दावे का साथ कह सकती हूं कि 2014 और 2024 की तुलना करें तो दिल्ली की महिलाओं की जिंदगी में बड़ा बदलाव आया है। 2014-15 में एक आम परिवार की लड़की जब अपनी पढ़ाई लिखाई के लिए कॉलेज जाना चाहती थी, तो मां-बाप इसलिए मना कर देते थे क्योंकि आने-जाने में खर्च बहुत है। 2014 तक लोक निर्माण विभाग की सड़कों पर 66,000 लाइटें लगी थी। आज यह बढ़कर 1400 किमी सड़कों पर 87,000 से ज्यादा लाइटें लगी है।
आतिशी ने यहां तक कहा कि 2013 में दिल्ली के लोगों का लोकतंत्र से भरोसा उठा गया था। 2014 से अबतक निराशा से आशा तक का सफर तय किया गया है। 2014-15 में दिल्ली का जीडीपी 4 लाख 95 हजार करोड़ था आज यह बढ़कर लगभग ढाई गुना हो गया है। 2014-15 में दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय 2 लाख 47 हजार रुपये थी अब 2023-24 में वर्तमान कीमतों पर 4 लाख 62 हजार रुपये है जो राष्ट्रीय औसत से 2.5 गुणा ज्यादा है।
‘अब तक बाजारों का विकास नहीं किया’
दो वर्ष पूर्व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सौ करोड़ रुपये का बजट दिल्ली के बाजारों के विकास के लिए पेश किया था। इसके प्रचार में करोड़ों रुपये तो खर्च हो गए लेकिन बाजारों का विकास नहीं हो पाया। मुफ्त की राजनीति से दिल्ली का विकास व्यापारियों को नहीं चाहिए। टैक्स के बदले दिल्ली के बाजारों का विकास होना चाहिए। बाजार की सड़कें टूटी पड़ी हैं, पानी की निकासी नहीं हो रही है। सुरक्षा के इंतजाम नहीं हैं। सरकार का ध्यान बजट में इन मूलभूत आवश्यकता पर होना चाहिए। -नितिन गुप्ता, प्रधान, कमला नगर ट्रेडर्स एसोशिएशन
बजट से व्यापारी निराश
दिल्ली के बजट से व्यापारियों को काफी उम्मीद थी। जीएसटी संग्रह जिस तरह से ढाई गुना बढ़ा, उसे देखकर व्यापारी उम्मीद कर रहे थे कि सरकार बजट में व्यापारियों के लिए कोई बड़ी घोषणा करेगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। – हेमंत गुप्ता, प्रदेश महामंत्री, भारतीय उद्योग व्यापार मंडल
पिछले बजट में दिल्ली सरकार ने बाजारों के विकास के लिए घोषणाएं की थी। बाजारों में विकास के लिए फंड का विशेष प्रावधान किया था, लेकिन इस बार बाजार को लेकर कुछ नहीं है। दिल्ली के व्यापारी सरकार को कर देते हैं। ऐसे में उम्मीद भी करते हैं कि सरकार बाजारों का विकास करेगी। – राकेश कुमार यादव, अध्यक्ष, फेडरेशन ऑफ सदर बाजार ट्रेड्स एसोसिशन
दिल्ली सरकार ने बजट में महिलाओं को प्रति माह एक हजार रुपये की घोषणा की है। महिलाओं के पास पैसे आने से खरीद की क्षमता बढ़ेगी। बाजार में ज्यादा ग्राहक होंगे तो इसका सीधा फायदा छोटे व्यापारियों को होगा। -अमित जैन, अध्यक्ष, चांदनी चौक, दुकानदार संघ
लोगों की राय
1000 प्रति माह एक घरेलू स्त्री के लिए बहुत मायने रखता है। कई बार माह के अंत में दो-चार सौ रुपये के लेनदेन में काम रुक जाते हैं। उन्हें अगले महीने की सैलरी तक छोड़ दिया जाता है। इस राशि से कहीं न कहीं राशन, दवाइयां, घरेलू सामान इत्यादि को खरीदने में मदद मिलेगी। अपनी आय, विवेक और जरूरत के अनुसार महिलाएं इसे अपने उत्थान में भी प्रयोग कर सकेंगी। -रीना फोनिया
आज भी कई महिलाएं कई वजहों से सैनिटरी पैड नहीं खरीद पातीं। अगर 1000 रुपये हर माह उन्हें मिलेंगे तो कहीं न कहीं यह राशि उन्हें बीमारियों व अन्य परेशानियों से बचाएगी। अच्छी बात यह है कि मेरी तरह 18 वर्ष से अधिक है। – संजना, छात्रा (डीयू)
कई महिलाओं का किट्टी, कमेटी व सिलाई के काम में शौक होता है, लेकिन वह घर के खर्चों के चलते इन्हें करने से घबराती हैं। वह इस राशि का इस्तेमाल अपने काम में एक सहारे या फंडिंग के तौर पर कर सकती हैं। – नूतन शर्मा, मंडावली
जब पहली बार सुना कि 18 वर्ष से अधिक आयु की प्रत्येक महिला को 1000 रुपये प्रति माह मिलेंगे, तब पहला सवाल यही आया कि सरकार यह राशि जुटाने के लिए क्या करेगी, लेकिन जब पढ़ा कि यह सिर्फ उन महिलाओं के लिए है जो सरकारी कर्मचारी नहीं हैं या आयकर दाता नहीं हैं। -दबेश कोरंगा, पांडव नगर
दिल्ली सरकार फ्री बिजली और पानी जैसी योजनाएं चल रही है, अच्छा कार्य कर रही है। सरकार महिलाओं को एक हजार रुपये प्रति माह देगी, उससे कई जरूरतें पूरी होंगी। -सिमरन, बदरपुर
सरकार को पुरुषों को भी कुछ देना चाहिए। सरकार इतनी सारी योजनाएं महिलाओं के लिए ही चला रही है, ये तो अच्छी बात है लेकिन पुरुषों का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। -रिंकू सिंह, नजफगढ़
इस साल का बजट उम्मीदों पर खरा उतरा है। दिल्ली सरकार ने महिलाओं के लिए जो सौगात दी है, उसका स्वागत करती हूं। पहले से ही दिल्ली सरकार राजधानी में गरीबों के लिए बहुत कार्य कर रही है। अब इस योजना से महिलाओं को और फायदा होगा। -अनिता, इंद्रपुरी निवासी