नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल, पंजाब और असम में सीमा सुरक्षा बल (BSF) की जांच का दायरा बढ़ा दिया है। अब BSF बॉर्डर से 15 किमी की जगह 50 किमी भीतर तक किसी की भी जांच कर सकती है और संदिग्ध को अरेस्ट कर सकती है। अब BSF को इसके लिए किसी की इजाजत लेने की जरूरत नहीं है। हालांकि, पश्चिम बंगाल की ममता सरकार इस बदलाव का विरोध कर रही है। दरअसल बंगाल 2216 किमी की अंतर्राष्ट्रीय सरहद बांग्लादेश के साथ साझा करता है। राज्य के 9 जिले कूचबिहार, उत्तर दिनाजपुर, दक्षिण दिनाजपुर, मालदा, मुर्शिदाबाद, नदिया, नॉर्थ 24 परगना, कोलकाता नॉर्थ, साउथ 24 परगना बांग्लादेश बॉर्डर से सटे हुए हैं।
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कोलकाता से लगभग 70 किमी की दूरी पर बशीरहाट है और यहीं से बांग्लादेश सीमा लगती है। यानी 50 किमी के नियम के हिसाब से अब BSF कोलकाता के मुहाने तक एक्शन ले सकती है। जिन 9 जिलों तक BSF को कार्रवाई का अधिकार प्राप्त हुआ है, उसके अंतर्गत विधानसभा की 148 और लोकसभा की 23 सीटें आती हैं। मतलब 294 सदस्यों वाली राज्य विधानसभा में से आधी सीटें इन्हीं जिलों के अंदर आ रही हैं। वहीं लोकसभा की भी आधी सीटें नए परिवर्तन के दायरे में आ गई हैं। इसी वजह से तृणमूल कांग्रेस (TMC) इसका जमकर विरोध कर रही है। उसे लगता है कि, केंद्र के इशारे पर BSF एक्शन लेगी और इससे पुलिस के अधिकार कम होंगे।
पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ पत्रकार स्निग्धेंदु भट्टाचार्य कहते हैं, बांग्लादेश सरहद के करीब आने वाले जिले चौड़े कम और लंबाई में अधिक फैले हुए हैं। 50 किमी तक जांच का दायरा होने से एक जिले का तक़रीबन आधा हिस्सा BSF की जांच के दायरे में आ गया है। इसका पॉलिटिकल इम्पैक्ट तो होना ही है। पहले ही बंगाल में केंद्र की CBI, ED समेत कई एजेंसियां जांच कर रही हैं। समय-समय पर TMC के नेताओं को भी पूछताछ के लिए बुलाया जाता है। अब दोनों दलों के बीच लड़ाई और अधिक उग्र होगी।