BMC ने कैंसर मरीजों को भोजन और आश्रय देने वाले ठौर को ढहाया

ढांचा परेल एरिया में स्थित टाटा मेमोरियल हास्पिटल के नजदीक एक भूखंड पर स्थित था जिसे चार जनवरी को ध्वस्त कर दिया गया था। कोर्ट ने कहा कि वादी मेसर्स मेहता एंड कंपनी को अपूरणीय क्षति हुई है। साथ ही इसने बीएमसी को उसी क्षेत्र में ध्वस्त संरचना के क्षेत्र के बराबर फर्म को एक अस्थायी वैकल्पिक आवास प्रदान करने का निर्देश दिया।

टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल में इलाज करा रहे कैंसर मरीजों को भोजन और आश्रय देने के लिए एक धर्मार्थ फर्म ‘मेसर्स मेहता एंड कंपनी’ द्वारा संचालित ढांचे को ध्वस्त करने की कार्रवाई को बॉम्बे हाई कोर्ट ने अत्यधिक मनमाना रवैया बताया है।

साथ ही, इस कार्रवाई के लिए बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) पर दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। बुधवार को उपलब्ध कराए गए चार अप्रैल के आदेश में जस्टिस गौरी गोडसे ने कहा कि बीएमसी ने उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना और ढांचे की देखरेख करने वाले को कोई सूचना दिए बिना जल्दबाजी में इसे ढहा दिया।

निगम अधिकारियों को लगाई फटकार
पीठ ने ढांचा गिराने की कार्रवाई के दौरान संवेदनशीलता की कमी दिखाने के लिए निगम अधिकारियों को फटकार लगाते हुए बीएमसी पर दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया, जिसे चार सप्ताह के भीतर वादी को चुकाना होगा। कोर्ट बीएमसी की कार्रवाई के खिलाफ धर्मार्थ फर्म द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

यह ढांचा परेल एरिया में स्थित टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के नजदीक एक भूखंड पर स्थित था जिसे चार जनवरी को ध्वस्त कर दिया गया था। कोर्ट ने कहा कि वादी मेसर्स मेहता एंड कंपनी को अपूरणीय क्षति हुई है। साथ ही, इसने बीएमसी को उसी क्षेत्र में ध्वस्त संरचना (1,319 वर्ग फीट) के क्षेत्र के बराबर फर्म को एक अस्थायी वैकल्पिक आवास प्रदान करने का निर्देश दिया।

कैंसर रोगियों को मिलता था आश्रय
जस्टिस गोडसे ने टिप्पणी की, ‘निगम के अधिकारियों ने उस ढांचे को गिराने की कार्रवाई करते समय पूरी तरह से असंवेदनशीलता दिखाई है। वादी ने इसका इस्तेमाल वादी टाटा मेमोरियल अस्पताल में इलाज करा रहे कैंसर रोगियों को भोजन और आश्रय प्रदान करने के लिए किया था।’

अदालत ने कहा कि मुंबई जैसे शहर में अस्थायी आश्रय मिलना बहुत मुश्किल है। इसलिए, मुझे यह मानने में कोई संदेह नहीं है कि विध्वंस की कार्रवाई ने न केवल वादी को उसके अधिकारों से वंचित किया है, बल्कि कैंसर रोगियों को भी इलाज के समय अस्थायी आश्रय के उनके अधिकार से वंचित किया है।

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