कृषि मंत्री: अपनी मर्जी से मंडी व दामों के निर्धारण की किसानों को होगी आजादी

कृषि मंत्री: अपनी मर्जी से मंडी व दामों के निर्धारण की किसानों को होगी आजादी

नई दिल्‍ली। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को किसान यूनियन से आंदोलन को खत्‍म करने का आग्रह किया। उन्‍होंने केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि जिन कानूनों का किसान विरोध कर रहे हैं वह उनके ही हित के लिए काफी सोच-विचार कर सरकार ने बनाए हैं इसलिए आंदोलन की जगह वार्ता के जरिए इसे हल करने का प्रयास करें। साथ ही उन्‍होंने आंदोलन कर रहे किसानों को सर्दी व कोविड-19 महामारी के कारण होने वाली परेशानियों का भी उल्‍लेख किया और इस आंदोलन से दिल्‍ली की आम जनता को हो रही मुश्‍किलों का भी हवाला दिया।

MSP पर खतरा नहीं, ये चलती रहेगी: कृषि मंत्री

कृषि मंत्री ने कहा, ‘नए कृषि सुधार कानूनों के तहत APMC मंडी में लगने वाला कमीशन देने की किसान को बाध्‍यता नहीं होगी। उन्हें अपनी फसल के लिए अपनी मर्जी से मंडी और दाम चुनने की पूरी आजादी होगी।’ उन्‍होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री जी और मैंने बार-बार यह कहा है कि MSP चलती रहेगी, इस पर कोई खतरा नहीं है। इस वर्ष भी MSP पर फसलों की खरीद बहुत अच्छे से हुई है। MSP को हमनें ही डेढ़ गुना किया है। अगर MSP को लेकर उनके मन में कोई शंका है तो हम लिखित आश्वासन देने को भी तैयार हैं।’

सरकार ने सोच-विचार कर बनाए कानून

कृषि मंत्री ने कहा, ‘भारत सरकार ने कानून बहुत सोच-समझकर बनाए हैं, किसानों के जीवन स्तर में बदलाव लाने के लिए बनाए हैं। सरकार बात करके उसमें (कानून) सुधार करने के लिए तैयार है।’ उन्‍होंने आगे कहा, ‘किसी भी कानून में प्रावधान पर आपत्ति होती है, प्रावधान पर ही चर्चा होती है। प्रस्ताव में हमने उनकी आपत्तियों का निराकरण करने की कोशिश की है। उन्हें आंदोलन समाप्त करके वार्ता का रास्ता अपनाना चाहिए।’

आंदोलन को खत्‍म करने में ही जनता और किसान का हित

कृषि मंत्री ने कहा, ‘मैं किसान यूनियन के लोगों को कहना चाहता हूं कि उन्हें केंद्र के साथ गतिरोध खत्‍म करना चाहिए। केंद्र सरकार ने आगे बढ़कर प्रस्ताव ​दिया है जिसमें उनकी मांगों का समाधान करने के लिए प्रस्ताव भेजा है।’ उन्‍होंने आगे कहा, ‘सर्दी का मौसम है और कोरोना का संकट है, किसान बड़े खतरे में हैं। आंदोलन से जनता को भी परेशानी होती है, दिल्ली की जनता परेशान हो रही है। इसलिए जनता के हित में, किसानों के हित में उनको(किसानों) अपने आंदोलन को समाप्त करना चाहिए।’

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