NEW DELHI: एक मां से ज्यादा बच्चे को दूसरा कोई प्यार नहीं कर सकता, और अगर बच्चे पर जरा भी आंच आए तो मां को रौद्र रूप धारण करने में देर नहीं लगती । कुछ इसी तरह का मामला यूपी के बहराइच में मंगलवार को सामने आया, जहां पर एक मां अपनी बच्ची की खातिर बाघ से जा भिड़ी । शायद हम-आप सोचकर भी डर जाएंगे, लेकिन यह सच है कि मां आखिरकार बच्ची को मौत के मुहं से निकाल ही लायी।अभी-अभी: पहले ही दिन लखनऊ मेट्रो को लेकर आई बुरी खबर…
वो मां बिना किसी हथियार के सिर्फ एक डंडे के सहारे लगातार 10 मिनट तक बाघ से लड़ती रही, और शायद इसलिए उसकी हिम्मत के सामने नरभक्षी बाघ को भी सरेंडर करना पड़ा ।
बता दें कि यह मामला यूपी के बहराइच जिले के कतर्नियाघाट अभ्यारण्य का है, जहां पर नल पर पानी पी रही एक लड़की पर बाघ ने हमला कर दिया, लेकिन मां की नजर पड़ते ही बिना किसी देरी के वो भी बाघ पर झपट पड़ी। मां सिर्फ एक डंडे के सहारे ही 10 मिनट तक बाघ से मुकाबला करती रही। हालांकि बच्ची घायल तो हो गई, लेकिन मां ने उसे बाघ के मुंह से तो बचा लिया। बच्ची अस्पताल में भर्ती है, जहां उसका इलाज चल रहा है। मां के इस साहस को दुनिया सलाम कर रही है।
दरअसल कतर्नियाघाट अभ्यारण्य में मोतीपुर रेंज से पीड़िता का गांव नैनिहा सटा हुआ है। यहां मंगलवार की देर शाम बाघ रामानुज के घर में घुसा आया। उस वक़्त रामानुज की पत्नी सुनैना खाना पका रही थी। जबकि उसकी बेटी 9 साल की बेटी संजना आंगन में नल के पास पानी पी रही थी।
उसी दौरान बाघ ने उस पर झपट्टा मारा और उसके सिर को दबोच लिया। बालिका की चीख सुनकर मां सुनैना बचाव के लिए दौड़ी तो मंजर देख उसके होश उड़ गए, लेकिन उसने सूझबूझ और हिम्मत दिखाते हुए डंडों के सहारे बाघ पर हमला बोल दिया। सुनैना 10 मिनट तक बाघ से डंडे के जरिये जूझती रही। बाघ संजना को जंगल की तरफ खींच रहा था।
मौत के मुंह में बेटी को जाता देख सुनैना ने बाघ को दोनों हाथों से पकड़ लिया तब तक परिजन और आसपास के लोग भी मौके पर जुट गए। ग्रामीणों का शोर सुनकर बाघ संजना को छोड़ जंगल की ओर चला गया। उसके सिर, पैरों में नाखून और दांतों के गहरे जख्म हैं। ग्रामीणों ने इसकी सूचना रेंज अफसरों को दी, लेकिन जब काफी देर तक लोग नहीं आये तो परिजन खुद वाहन का इंतजाम कर घायल संजना को मोतीपुर सीएचसी में ले गए। यहां रेंजर मोतीपुर खुर्शीद आलम अपनी टीम के साथ पहुंचे। डॉक्टरों ने घायल की हालत गंभीर देखते हुए उसे जिला अस्पताल रेफर किया। रेंजर खुर्शीद आलम और उनकी टीम ने बालिका को जिला अस्पताल में भर्ती कराया। बता दें कि सुनैना के चार बेटियां और एक बेटा है।
मोतीपुर रेंज के नैनिहा, सेमरहना, अमृतपुर पुरैना, झाला आदि गांवों में तीन सप्ताह से बाघ और तेंदुए का आतंक है। अब तक तीन बच्चों समेत चार लोग घायल हो चुके हैं, लेकिन वन विभाग कोई ठोस उपाय नहीं ढूंढ पा रहा है। वन विभाग के प्रति लोगों में आक्रोश भी पनप रहा है।
कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग के डीएफओ जीपी सिंह ने बताया कि बाघ के हमले में घायल बालिका के परिवार वालों को इलाज के लिए पांच हजार रुपये कैश दिया है। जल्द ही मुआवजा भी दिया जाएगा। वन महकमे की टीमों को अलर्ट किया गया है। ग्रामीणों को भी सावधानी बरतने को कहा गया है। उन्हें पटाखे भी दिए गए हैं।