New Delhi: कुछ दिनों पहले नेवी में काम कर रहे एक लड़के ने अपना लिंग परिवर्तन करवाया था। लेकिन उसे क्या पता था कि ये करना उसके लिए भाड़ी पड़ जाएगा। और अब वह नेवी की नीतियों के खिलाफ संघर्ष कर रहा है।अभी-अभी: राम रहीम के बाद अब बाबा रामदेव की बारी, इस महिला पत्रकार ने खोले बाबा रामदेव के ये बड़े राज…
शबी एक ट्रांसजेंडर हैं और नेवी ने रक्षा मंत्रालय से सिफारिश की है कि उन्हें उनकी सेवा से मुक्त कर दिया जाए। दरअसल भारतीय नेवी की नीतियों के अनुसार, एक ‘ट्रांसजेंडर’ के लिए वहां कोई जगह नहीं है, और शबी ने प्रतिज्ञा की है कि वह ऐसी नीतियों के खिलाफ लड़ेंगी।
शबी का जन्म एक पुरुष के रूप में हुआ था। उनका नाम एमके गिरी था। करीब सात साल पहले उन्होंने ईस्टर्न नेवल कमांड के मरीन इंजिनियरिंग डिपार्टमेंट में जॉइन किया था। उन्होंने बताया कि जब (नेवी में) उनके लिंग परिवर्तन के बारे में पता चला तो किसी ने ऐतराज या उनसे भेदभाव नहीं किया।
हालांकि एक ट्रांसजेंडर के रूप में खुद को पेश करने की हिम्मत जुटाने के लिए उन्हें काफी समय लगा। जब उन्होंने ऐसा किया तो नेवी के डॉक्टरों ने उनकी मदद करने से इनकार कर दिया। काफी इंतजार के बाद साल 2016 में उन्होंने विजाग में डॉक्टरों से संपर्क किया और बाद में अपने जेंडर आइडेंटिटी डिसऑर्डर का निदान किया। अपने शरीर को लेकर उन्हें महसूस हुआ कि उनके पास 22 दिन की छुट्टी लेकर अपना लिंग परिवर्तन कराने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा है।
सर्जरी के बाद जब वह वापस काम पर लौटने के लिए विशाखापट्टनम स्थित नेवल बेस आए, तो यहां उनके पेशाब करने के अंग में संक्रमण हो गया। इसके बाद उनसे जोर देकर कहा गया कि वह अपने ऑपरेशन के बारे में बताएं। शबी ने आरोप लगाया कि लिंग परिवर्तन कराने के बाद भी उन्हें पुरुष वॉर्ड में तीन सैनिकों के साथ रखा गया। शबी ने आरोप लगाते हुए कहा, ‘मुझे 6 महीने तक साइकायट्रिक वॉर्ड में रखा गया और मानसिक रूप से परेशान किया गया। डॉक्टरों ने मुझे नेवी के लिए मानसिक रूप से अयोग्य साबित करने की कोशिश की।’
बीते 12 अगस्त को नेवी के साइकायट्रिक वॉर्ड से डिस्चार्ज होने के बाद शबी ने एक महिला के रूप में फिर से काम करना शुरू किया, हालांकि लोगों को इस तथ्य को स्वीकार करने में समय लगा कि अब वह एक महिला हैं। शबी के भविष्य को लेकर नेवी ने सलाह के लिए उनके केस को रक्षा मंत्रालय में भेजा है जिसके बाद उनका अपने डिविजन ऑफिसर (DO) से आमना-सामना है। शबी का कहना है कि DO ने उनके मीडिया से बात करने पर रोक लगा रखी है और धमकी दी है कि उन्हें उनकी सेवा से हटा दिया जाएगा क्योंकि ‘महिलाएं रक्षा संबंधी सेवाएं नहीं कर सकतीं’।
भारतीय नेवी की नीतियों के अनुसार, एक ‘ट्रांसजेंडर’ के लिए वहां कोई जगह नहीं है, हालांकि शबी ने प्रतिज्ञा की है कि वह ऐसी नीतियों के खिलाफ लड़ेंगी। उन्होंने जोर देकर कहा, ‘मेरे अधिकारों के लिए अगर मुझे सुप्रीम कोर्ट तक जाना पड़ा तो मैं जाऊंगी। मैं नेवी के मुझे सेवामुक्त करने के फैसले से बहुत ज्यादा निराश हूं। मैं सभी संभव कानूनी विकल्पों को देखूंगी।’ उन्होंने कहा, ‘मैंने अपना सामर्थ्य नहीं खोया है और अभी भी नेवी में काम करने के योग्य हूं। मैं दुश्मन को शूट करने के लिए अभी भी बंदूक का ट्रिगर खींच सकती हूं। क्यों मैं अपने देश की सेवा के लिए फिट नहीं हूं? मैं किसी भी व्यक्ति की तरह भारत की नागरिक हूं।’ शबी ने कहा है कि वह न्याय के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखने पर भी विचार कर रही हैं।