क्या आपको भी लगता है कि चीनी की जगह खजूर या गुड़ का इस्तेमाल करके आप अपनी सेहत बना रहे हैं? हम इंसानों की फितरत ही ऐसी है कि हमें मीठा खाना पसंद होता है- जिसे हम ‘स्वीट टूथ’ कहते हैं। इसी शुगर क्रेविंग को पूरा करने के लिए हम अक्सर चीनी के ‘हेल्दी अल्टरनेटिव्स’ की तलाश में रहते हैं।
ऐसे में, क्या आपके मन में भी सवाल खड़ा होता है कि क्या खजूर वाकई आर्टिफिशियल स्वीटनर या चीनी की जगह ले सकता है? आइए, गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. पाल मणिकम से इस विषय को गहराई से समझते हैं।
‘शुगर लोड’ का है असली खेल
यह समझना बहुत जरूरी है कि हमारे शरीर का काम करने का तरीका बहुत सीधा है। एक बार जब भोजन हमारी आंतों से आगे निकल जाता है, तो हमारा शरीर यह पहचानने में सक्षम नहीं होता कि शुगर का मॉलिक्यूल कहां से आया है। चाहे वह सफेद चीनी हो, पाम शुगर हो, गुड़ हो, खजूर हो या फिर कोई सेब- शरीर के लिए सब एक बराबर हैं।
जी हां, बॉडी के लिए जो चीज मायने रखती है, वह केवल यह है कि उस मील में कार्बोहाइड्रेट या ‘शुगर लोड’ कितना है।
चीनी, शहद या कॉर्न सिरप
डॉक्टर ने बताया कि शुगर को लेकर एक बहुत ही दिलचस्प स्टडी की गई है, जिसमें रिफाइंड सफेद शुगर, शहद और हाई फ्रक्टोज कॉर्न सिरप की तुलना की गई। शोधकर्ताओं ने इन तीनों की बराबर मात्रा का इस्तेमाल किया और यह देखा कि शरीर पर इनका क्या असर होता है।
बता दें, नतीजे काफी हैरान करने वाले थे। जब इन तीनों चीजों की बराबर मात्रा दी गई, तो शरीर पर सबका बुरा प्रभाव एक जैसा ही था। चाहे इंसुलिन रेजिस्टेंस हो, ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर हो या मेटाबॉलिक सिंड्रोम के अन्य मार्कर- इन सभी पैमानों पर चीनी, शहद और कॉर्न सिरप ने शरीर को समान रूप से नुकसान पहुंचाया।
इंसुलिन रेजिस्टेंस का कड़वा सच
असलियत यह है कि हम शहद जैसी चीजों का महिमामंडन करते हैं और उसे सेहतमंद मानते हैं, जबकि सफेद चीनी और हाई फ्रक्टोज कॉर्न सिरप को ‘विलेन’ बना देते हैं, लेकिन विज्ञान कहता है कि अगर ‘शुगर लोड’ समान है, तो नुकसान भी समान ही होगा। ये तथाकथित हेल्दी ऑप्शन्स भी शरीर में उसी हद तक इंसुलिन रेजिस्टेंस पैदा करते हैं, जितना कि साधारण चीनी।
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