एम्स के स्वीपिंग मशीन घोटाले में सीबीआई एक और चार्जशीट (सप्लीमेंट्री) दाखिल करेगी। इसमें घोटाले के वक्त तैनात रहे बड़े अधिकारियों को भी शामिल किया जा सकता है। इस मामले में सीबीआई पिछले साल जनवरी में पांच अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर चुकी है।
अब तक की जांच में तत्कालीन आला अधिकारियों की लापरवाही और मिलीभगत के साक्ष्य सीबीआई को मिले हैं। ऐसे में अब एक बार फिर से इस मामले में चार्जशीट दाखिल की जाएगी। गौरतलब है कि वर्ष 2022 में एम्स में मशीनों और मेडिकल स्टोर के आवंटन के घोटाले में कई मुकदमे दर्ज किए गए थे। इनमें पांच अधिकारी और चार अन्य आरोपी बनाए गए थे। एक मामला एम्स में स्वीपिंग मशीन खरीद का था। टेंडर में पांच कंपनियों को शामिल किया गया था। देश की एक नामी कंपनी जो कि स्वीपिंग मशीन बनाती और बेचती थी उसे कई तरह की गलतियां बताते हुए टेंडर प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया।
जबकि एक ऐसी कंपनी से स्वीपिंग मशीन खरीदी गई जिसने इसका न तो निर्माण किया और न ही इसकी बिक्री से कोई संबंध था। शर्त थी कि मशीन तीन महीने से ज्यादा पुरानी नहीं होनी चाहिए। मशीन आ गई। काम शुरू किया तो कुल 124 घंटे ही चल पाई। स्वीपिंग मशीन और मेडिकल स्टोर आवंटन के मामलों में कुल 4.41 करोड़ रुपये के घोटाले की सीबीआई जांच में पुष्टि हुई।
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इस मामले में माइक्रोबायोलॉजी विभाग के तत्कालीन प्रोफेसर डॉ. बलराम ओमर, एनाटॉमी विभाग के तत्कालीन प्रोफेसर डॉ. बृजेंद्र सिंह, तत्कालीन सहायक प्रोफेसर अनुभा अग्रवाल, प्रशासनिक अधिकारी शशिकांत और लेखाधिकारी दीपक जोशी के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी।
इन सभी पर धोखाधड़ी, आपराधिक षड्यंत्र और भ्रष्टाचार के आरोप में चार्जशीट दाखिल कर दी गई थी। सीबीआई के सूत्रों के मुताबिक इस मामले में तत्कालीन आला अधिकारियों की भी इसमें भूमिका के साक्ष्य मिले हैं। उनके खिलाफ भी जांच लगभग पूरी हो चुकी है। जल्द ही एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की जाएगी।