भारी उपग्रहों को प्रक्षेपित करने वाले चीन के दूसरे सबसे भारी रॉकेट की असफल लॉन्चिंग भारत के लिए एक मौका बनकर सामने आ सकता है। इस रॉकेट की नाकामी से चीन के अभीतक के सफल स्पेस प्रोग्राम को करारा झटका लगा है।104 उपग्रह को अंतरिक्ष की कक्षा में पहुंचाकर रेकॉर्ड बनाया है
इस असफलता का लाभ भारत को मिल सकता है और नई दिल्ली स्पेस रैंकिंग में चीन से ऊपर पहुंच सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि लॉन्ग मार्च-5 सीरीज के रॉकेट के असफल परीक्षण के कारण अब चीन का चंद्रमा से नमूने लाने की योजना में देरी हो सकती है।
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यूएस नेवल वॉर कॉलेज में चीनी स्पेस कार्यक्रम के एक विशेषज्ञ जॉन जॉनसन फ्रीसी ने एक ईमेल में बताया है, ‘चीन अपने स्पेस कार्यक्रम को लेकर काफी दूरगामी सोच रखता है। वह इस तरह की असफल लॉन्चिंग से बचने की पूरी कोशिश करता है। हालांकि उसे यह मालूम है कि ऐसा कभी न कभी तो होगा ही।’रविवार सुबह 7.23 बजे दक्षिणी प्रांत हैनान के वेनचांग प्रक्षेपण केंद्र से रॉकेट उड़ान भरी।
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लॉन्ग मार्च-5 सीरीज के रॉकेटों का यह आखिरी परीक्षण उड़ान था। उड़ान भरने के कुछ देर बाद रॉकेट में नष्ट हो गया। इस घटना की जांच की जा रही है। अधिकारियों ने अभी इसके पीछे के कारणों पर कोई टिप्पणी नहीं की है। जॉन का मानना है कि चीन की इस असफलता को पेइचिंग का पड़ोसी देश भारत एक मौके की तरह देख सकता है।
चीन दक्षिण एशिया में स्पेस कार्यक्रम में एक रुतबा रखता है। भारत का मंगलयान लाल ग्रह की कक्षा में है। भारत ने इसी साल एक ही रॉकेट के 104 उपग्रह को अंतरिक्ष की कक्षा में पहुंचाकर रेकॉर्ड बनाया है। जॉन कहते हैं लॉन्ग मार्च 5 रॉकेट की असफलता भारत अपने लिए एक अवसर की तरह देख सकता है।