शुभांशु ने पीएम मोदी के साथ अनूठे अनुभव किए साझा

41 साल पहले जब भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा अंतरिक्ष यात्रा पर गए थे तो तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनसे पूछा था कि हमारा भारत वहां से कैसा दिखता है? इसके जवाब में राकेश शर्मा ने कहा था-सारे जहां से अच्छा..। इसी तरह शुभांशु शुक्ला से पीएम मोदी ने पूछा तो उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष से भारत बहुत भव्य और बड़ा दिखता है।

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से वीडियो लिंक के जरिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बात करते हुए शुभांशु ने कहा कि यहां से भारत बहुत भव्य और बड़ा दिखता है। अनेकता में एकता का भाव साकार होता दिखता है।

शुभांशु ने अंतरिक्ष स्टेशन में अपने अनूठे अनुभव साझा किए
शनिवार को प्रधानमंत्री मोदी के साथ लगभग 17 मिनट की बातचीत में शुभांशु ने न सिर्फ अपने अनूठे अनुभव साझा किए, बल्कि पहली बार अंतरिक्ष स्टेशन में लगाए गए तिरंगे का गौरवपूर्ण अहसास और आगे बढ़ते भारत को लेकर भी अपना दृष्टिकोण रखा। उन्होंने पीएम मोदी से कहा कि बहुत नया अनुभव है। ऐसी चीजें हो रही हैं, जो दर्शाती हैं कि हमारा भारत किस दिशा में जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने भी शुभांशु का उत्साहवर्धन किया
प्रधानमंत्री ने भी उनका उत्साहवर्धन करते हुए अंतरिक्ष से जुड़े भारत के भावी संकल्पों का साझेदार बनने का आह्वान किया। बातचीत के अंत में जब प्रधानमंत्री ने ‘भारत माता की जय’ का नारा लगाया, तो जवाब में शुक्ला ने भी ‘भारत माता की जय’ कहा।

प्रधानमंत्री ने उनकी कुशल-क्षेम पूछी
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को शुभकामना देते हुए प्रधानमंत्री ने उनकी कुशल-क्षेम पूछी। इस पर शुभांशु अभिभूत हो गए। कहा-पृथ्वी से आरबिट तक की 400 किलोमीटर की छोटी सी यात्रा सिर्फ मेरी नहीं, बल्कि मेरे देश की भी यात्रा है। मैं छोटा था तो कभी सोच नहीं पाया कि मैं अंतरिक्ष यात्री बन सकता हूं। लेकिन मुझे लगता है कि आपके नेतृत्व में आज का भारत यह मौका देता है और उन सपनों को साकार करने का मौका भी देता है। यह बहुत बड़ी उपलब्धि है मेरे लिए और मैं बहुत गर्व महसूस कर रहा हूं कि मैं यहां पर अपने देश का प्रतिनिधित्व कर पा रहा हूं। ‘आप अपने साथ जो गाजर का हलवा ले गए हैं, वह साथियों को खिलाया?’

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यह पूछकर पीएम ने शायद शुभांशु को यह महसूस कराने का प्रयास किया कि उनकी यात्रा की तैयारियों को लेकर भी पीएम कितनी करीबी से जानकारी रख रहे थे। भारतीय अंतरिक्ष यात्री ने बताया कि वह दिन में 16 सूर्योदय और सूर्यास्त देख रहे हैं। यह प्रक्रिया बहुत अचंभित कर देने वाली है।

उन्होंने यह भी बताया कि उनकी यात्रा की गति 28 हजार किलोमीटर प्रति घंटा की है। इसे भारत के मान से जोड़ते हुए कहा कि यह दिखाता है कि हमारा देश कितनी तेज गति से आगे बढ़ रहा है। यहां से हमें और आगे जाना है।

प्रधानमंत्री से मुंह से निकला-वाह…
यह सुनते ही प्रधानमंत्री से मुंह से निकला-वाह! फिर पूछा-अंतरिक्ष की विशालता देखकर सबसे पहला विचार आपको क्या आया? इस पर शुभांशु ने बताया कि जब पहली बार हम अंतरिक्ष में पहुंचे तो पहला दृश्य पृथ्वी का था। पृथ्वी को बाहर से देखकर मन में पहला ख्याल आया कि पृथ्वी बिल्कुल एक दिखती है। बाहर से कोई सीमा रेखा दिखाई नहीं देती।

दूसरी चीज, हम भारत को मैप पर देखते-पढ़ते हैं कि बाकी देशों का आकार कितना बड़ा है और भारत का कितना? वह सही नहीं होता, क्योंकि हम थ्री-डी आब्जेक्ट को टू-डी पेपर पर उतारते हैं। भारत सच में बहुत भव्य और बड़ा दिखता है। जितना हम मैप पर देखते हैं, उससे कहीं ज्यादा बड़ा। अनेकता में एकता का भाव साकार होता दिखता है।

पीएम ने बोले अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर जाने वाले आप पहले भारतीय
पीएम ने उल्लेख किया कि अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर जाने वाले आप पहले भारतीय हैं। आपने जबरदस्त मेहनत की है। लंबी ट्रेनिंग करके गए हैं। अब आप अंतरिक्ष में हैं। वहां की परिस्थितियां कितनी अलग हैं? कैसे तालमेल बैठा रहे हैं?

सोना बहुत बड़ी चुनौती है
इस पर उन्होंने अनुभव साझा किया कि यहां सब कुछ अलग है। एक साल ट्रेनिंग की, सारे सिस्टम और प्रक्रिया के बारे में पता था, लेकिन यहां आते ही अचानक सब बदल गया। हमारे शरीर को गुरुत्वाकर्षण में रहने की आदत हो जाती है। हर एक चीज उसी से तय होती है। लेकिन यहां पर छोटी-छोटी चीजें भी बहुत मुश्किल हो जाती हैं। आपसे बात करते समय पैरों को बांध रखा है, नहीं तो ऊपर चला जाऊंगा। सोना बहुत बड़ी चुनौती है। आप छत, दीवार या जमीन कहीं भी सो सकते हैं।

पीएम के कहने पर उन्होंने युवा पीढ़ी के लिए संदेश दिया कि भारत आज जिस दिशा में जा रहा है, हमने बहुत साहसिक और ऊंचे सपने देखे हैं। उन सपनों को पूरा करने के लिए हमें आप सभी की जरूरत है।

पीएम मोदी ने गगनयान को लेकर कही ये बात
अंत में पीएम मोदी ने भारत के संकल्प उनसे साझा किए और कहा कि हमें मिशन गगनयान को आगे बढ़ाना है। हमें अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन बनाना है। चंद्रमा पर भारतीय की लैंडिंग भी करानी है। इन सारे मिशनों में आपके अनुभव बहुत काम आने वाले हैं। भारत दुनिया के लिए अंतरिक्ष की नई संभावनाओं के द्वार खोलने जा रहा है। अब भारत सिर्फ उड़ान नहीं भरेगा, बल्कि भविष्य में नई उड़ानों के लिए मंच तैयार करेगा।

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