GST में होने जा रहा बड़ा बदलाव, खत्म होगी 12 फीसदी की स्लैब

जीएसटी प्रणाली में बदलाव पर कवायद शुरू हो गई है। जीएसटी काउंसिल की आगामी बैठक से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के अधिकारियों के साथ आगामी 20 जून को अहम बैठक करने जा रही है।

हालांकि इस दिन वित्त मंत्री इनकम टैक्स विभाग के साथ भी बैठक करेंगी, लेकिन जीएसटी दरों में बदलाव और क्षतिपूर्ति सेस के मुद्दे की वजह से सीबीआईसी के साथ होने वाली बैठक अहम मानी जा रही है। बैठक में जीएसटी संग्रह के रुख, दरों में तार्किक बदलाव, जीएसटी पंजीयन से जुड़े नियम और क्षतिपूर्ति सेस जैसे मुद्दों पर सीबीआईसी के साथ चर्चा की जाएगी।

तीन माह में एक बार बुलानी होती है बैठक
माना जा रहा है इस बैठक के बाद ही जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक आयोजित की जा जाएगी। पिछले छह महीनों से जीएसटी काउंसिल की बैठक नहीं बुलाई गई है जबकि चलन के मुताबिक हर तीन माह में एक बार जीएसटी काउंसिल की बैठक बुलाना जरूरी है।

गत दिसंबर में जीएसटी काउंसिल की आखिरी बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि आगामी बैठक से जीएसटी की दरों को लेकर चर्चा की जाएगी ताकि जीएसटी के स्लैब में बदलाव किया जा सके। इसे लेकर मंत्रियों के एक समूह का भी गठन किया गया था और सूत्रों के मुताबिक समूह ने काउंसिल को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।

12 प्रतिशत का स्लैब हटने की उम्मीद
सूत्रों का कहना है कि जीएसटी स्लैब से 12 प्रतिशत के स्लैब को हटाया जा सकता है और इस स्लैब में शामिल आइटम को उनकी जरूरत के मुताबिक पांच प्रतिशत और 18 प्रतिशत में शिफ्ट किया जा सकता है। अभी जीएसटी की दरें तीन, पांच, 12, 18 और 28 प्रतिशत है। सूत्रों के मुताबिक आगामी 20 जून को वित्त मंत्री के नेतृत्व में मंत्रालय के अधिकारी सीबीआईसी के साथ दरों के बदलाव को लेकर चर्चा करेंगे क्योंकि सरकार किसी भी बदलाव से पहले यह आश्वस्त होना चाहती है कि दरों में बदलाव से जीएसटी संग्रह में कोई कमी नहीं आएगी।

चालू वित्त वर्ष 2025-26 के पहले दो महीनों में जीएसटी का मासिक संग्रह दो लाख करोड़ से ऊपर रहा है। सीबीआईसी के साथ बैठक में इनपुट क्रेडिट टैक्स के रिफंड को लेकर भी गंभीर चर्चा की जाएगी क्योंकि वर्तमान नियमों की वजह से कई कारोबारियों को इनपुट क्रेडिट टैक्स मिलने में परेशानी होती है। जिस कारोबारी को वह अपना माल बेचते हैं और अगर उसने अपना जीएसटी रिटर्न दाखिल नहीं किया है तो उसे विक्रेता कारोबारी को इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिल पाता है।

इनपुट क्रेडिट टैक्स के रिफंड से जुड़ी इस प्रकार की दिक्कतों को दूर करने को लेकर बात की जाएगी। इसके अलावा क्षतिपूर्ति सेस के भविष्य को लेकर भी चर्चा की जाएगी। क्षतिपूर्ति सेस की वैधता अगले वर्ष मार्च में समाप्त हो रही है। उसके बाद इस सेस को किस रूप में जारी रखना है या नहीं रखना है, इसे लेकर भी सीबीआईसी के साथ और फिर जीएसटी काउंसिल की बैठक में चर्चा की जाएगी। क्षतिपूर्ति सेस के भविष्य को लेकर वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के नेतृत्व में समूह का गठन किया गया है। समूह को आगामी 30 जून तक अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया था।

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