वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों की सुनवाई की स्थिति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार केंद्र सरकार से दो सप्ताह के भीतर स्टेटस रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति आगस्टीन जार्ज मसीह की पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से हलफनामा दाखिल करने के साथ याचिकाकर्ताओं को विस्तृत आपत्तियां दाखिल करने की अनुमति दी।
इस दौरान ऐश्वर्या ने कहा कि अदालत द्वारा गठित एसआईटी की सिफारिशों को लागू किया गया था। वहीं, एक याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि एसआईटी रिपोर्ट में कई ऐसे उदाहरण है जहां 498 मामलों को एक ही एफआईआर में शामिल कर दिया गया और जांच अधिकारी को इन सभी की जांच करनी पड़ी।
शुरुआत में अदालत को लगा कि इसे दिल्ली तक ही सीमित रखना चाहिए, लेकिन हमने अन्य राज्यों के लिए कुछ नहीं किया। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो सभी पहलुओं पर गौर करेगी। गौरतलब है कि 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके अंगरक्षकों द्वारा हत्या किए जाने के बाद दिल्ली में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी और सिख समुदाए के लोगों की हत्याएं की गई थीं।
मेडिकल कॉलेजों की खाली सीटें 30 दिसंबर से पहले भरी जाएं: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि मेडिकल सीटें कीमती होती हैं और इन्हें बेकार नहीं जाना चाहिए, वो भी तब जब देश चिकित्सकों की भारी कमी से जूझ रहा है। इसके साथ ही इसने रिक्त सीटों को भरने के लिए काउंसलिंग किए जाने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विस्वनाथन की पीठ ने प्रवेश लेने वाले अधिकारियों से कहा कि एक विशेष काउंसलिंग आयोजित करें और 30 दिसंबर तक चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश प्रक्रिया को पूरा करें।सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश उन याचिकाओं पर सुनवाई के बाद आया है जिनमें प्रवेश लेने वाले अधिकारियों को पांच दौर की काउंस¨लग के बाद रिक्त सीटों को भरने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि इस आदेश के तहत कोई भी कालेज सीधे प्रवेश नहीं लेगा और सभी सीटें राज्य की प्रवेश देखने वाली संस्थाओं के जरिये भरी जाएंगी। इन सीटों को केवल प्रतीक्षा-सूची के उम्मीदवारों से ही भरा जाएगा।