पंजाब में चार सीटों पर विधानसभा उपचुनाव कांग्रेस के लिए अहम रहने वाला है, क्योंकि इसी से कांग्रेस प्रदेश में सत्ता में अपनी वापसी की राह तलाश रही है। इस चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की साख दांव पर है।
पिछले लोकसभा चुनाव में सात सीटें जीतने के बाद पंजाब कांग्रेस के हौसले बुलंद जरूर हैं, लेकिन हरियाणा में मिली हार ने इस खुशी को कम किया है, क्योंकि पड़ोसी राज्य होने के कारण हरियाणा का भी पंजाब की राजनीति पर प्रभाव रहता है।
बरनाला सीट पर आप का दबदबा
बरनाला सीट से कांग्रेस ने कुलदीप सिंह ढिल्लों को टिकट दी है। पिछले दो विधानसभा चुनाव से यहां आम आदमी पार्टी का दबदबा रहा है। गुरमीत सिंह मीत हेयर यहां से 2017 व 2022 में जीत दर्ज कर चुके हैं। उनके लोकसभा में जाने के बाद ही यह सीट खाली हुई थी। कांग्रेस के सामने पहले तो आप का किला ढाहने की चुनौती है। वहीं दूसरा पार्टी को यहां बागी भी चुनौती दे रहे हैं। भाजपा ने पूर्व कांग्रेस विधायक केवल सिंह ढिल्लों को टिकट दी है, जो 2007 व 2012 में यहां से दो बार विधायक रह चुके हैं, इसलिए बरनाला सीट पर कांग्रेस के सामने डबल चुनौती है।
चब्बेवाल में मुकाबला कड़ा
इसी तरह चब्बेवाल सीट पर कांग्रेस से एडवोकेट रंजीत कुमार चुनाव लड़ रहे हैं। उनके सामने आम आदमी पार्टी से डॉ. राजकुमार चब्बेवाल के बेटे ईशांक चब्बेवाल मैदान में है। डॉ. राजकुमार दो बार इस सीट पर कांग्रेस से विधायक रह चुके हैं। लोकसभा चुनाव से पहले ही कांग्रेस छोड़कर वह आप में शामिल हो गए थे और होशियारपुर सीट से लोकसभा चुनाव जीत गए थे। इस तरह चब्बेवाल सीट पर भी बागियों ने कांग्रेस की राह मुश्किल कर दी है।
सबसे हाॅट सीट बनी गिद्दड़बाहा
इस बार उपचुनाव में गिद्दड़बाहा सीट सबसे हॉट बनी हुई है। यह सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है, क्योंकि पिछले तीन चुनाव से लगातार यहां से पंजाब कांग्रेस के प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग जीत दर्ज करते रहे हैं। इस बार कांग्रेस ने उनकी पत्नी अमृता वड़िंग को चुनाव मैदान में उतारा है। वड़िंग के लिए अपना गढ़ बचाने के साथ ही यह उपचुनाव साख का सवाल बना हुआ है। इस पर भाजपा से मनप्रीत बादल चुनाव मैदान में उतरे हैं, जो चार बार इस हलके से विधायक रह चुके हैं। वह वर्ष 2023 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। इसी तरह आप ने यहां पूर्व अकाली हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों को टिकट दी है, जो सुखबीर बादल के करीबियों में से एक थे। दोनों ही नेता इस सीट पर कांग्रेस को कड़ी टक्कर दे रहे हैं।
डेरा बाबा नानक में भी गढ़ बचाने की चुनौती
इसी तरह कांग्रेस के लिए डेरा बाबा नानक में भी अपना गढ़ बचाने की चुनौती है। यहां 2012 से लगातार तीन बार कांग्रेस सांसद सुखजिंदर सिंह रंधावा जीत दर्ज करते रहे हैं। इस बार उनकी पत्नी जतिंदर कुमार चुनाव में उतरी हैं। भाजपा ने यहां से अकाली नेता निर्मल सिंह काहलों के बेटे रविकरण काहलों को टिकट दी है। निर्मल काहलों यहां से दो बार विधायक रह चुके हैं। आम आदमी पार्टी ने यहां पर गुरदीप रंधावा को दोबारा टिकट दी है। वह वर्ष 2022 चुनाव में हार गए थे। डेरा बाबा नानक में इस बार भाजपा व आप प्रत्याशी दोनों ही पूरा जोर लगा रहे हैं, जिसके चलते यह सीट भी कांग्रेस के लिए आसान नहीं रहने वाली है।