हवा की सेहत को सुधारने के लिए तालकटोरा औद्योगिक क्षेत्र की फैक्टरियों की चिमनियां 20 फीट और ऊंची की जाएंगी। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस बाबत निर्देश दिए हैं। राजधानी में दिवाली के बाद से हवा की सेहत नासाज है। यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी यूसी शुक्ला ने बताया कि शहर में वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए इन फैक्टरियों को अपनी चिमनियों को 20 फीट ऊपर करने का मौखिक निर्देश दिया गया है। हम लिखित तौर पर भी इसे भेज रहे हैं। जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार के निर्देश पर नगर निगम समेत राजधानी की अन्य एजेंसियां भी प्रदूषण नियंत्रण के प्रयास में लगी हैं।
128 में से 8 इकाइयों में लगी है चिमनी
तालकटोरा इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष यूनुस सिद्दीकी ने बताया कि तालकटोरा में कुल 128 इकाइयां हैं। इनमें से आठ इकाइयां ऐसी हैं, जिनमें चिमनी लगी है। सभी चिमनियां तय मानकों के अनुसार लगी हैं। बॉयलर की क्षमता के मुताबिक किसी की चिमनी 100 तो किसी की 130 फीट ऊंची है। कानूनन हमें चिमनी ऊंची करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
फिर भी प्रशासन ने एहतियात के तौर पर चिमनियां ऊंची करने के लिए कहा है। इसके लिए पहले पूरी चिमनी को खोलना पड़ेगा। इसके बाद ही उसकी ऊंचाई बढ़ाई जा सकती है। इस काम में 10-15 दिन लग सकते हैं। उद्योगों से प्रदूषण नहीं हो रहा है। तालकटोरा के मुकाबले लालबाग में हवा की गुणवत्ता कहीं ज्यादा खराब है।
लालबाग की हवा हुई खतरनाक
राजधानी में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) यूपी के सघन बसे उद्योगों वाले शहरों-गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेनो की तरह दर्ज हो रहा है। मंगलवार को लखनऊ का औसत एक्यूआई 243 दर्ज हुआ। लालबाग की हवा की गुणवत्ता लाल श्रेणी (एक्यूआई 321) में पहुंच गई। ऐसी हवा सेहत के लिए नुकसानदायक होती है।
मंगलवार को प्रदेश के अन्य शहरों में दर्ज हुआ एक्यूआई
गाजियाबाद- 241
नोएडा- 218
ग्रेटर नोएडा-274
इस आधार पर तय होती है हवा की सेहत
पांच हानिकारक प्रदूषकों की मात्रा के आधार पर हवा की गुणवत्ता और वायु गुणवत्ता सूचकांक तय होता है। ये पांच प्रदूषक हैं- कार्बन मोनो ऑक्साइड, धूल के कण, सल्फर डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड और वायुमंडल के निचले स्तर में मौजूद ओजोन। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) का जितना ज्यादा होता है, वहां की हवा हमारी सेहत के लिए उतनी ज्यादा नुकसानदायक और जहरीली मानी जाती है।
नगर निगम ने लगाईं दस मशीनें
नगर निगम के पर्यावरण अभियंता संजीव प्रधान ने बताया कि जिन इलाकों में ज्यादा एक्यूआई दर्ज हो रहा है, उनमें नगर निगम की दस मशीनें प्रदूषण नियंत्रण में लगी हैं। जिनमें आठ एंटी-स्मॉग गन हैं। पानी के छिड़काव के लिए भी दो मशीनें लगाई गई हैं।
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