बाबा विश्वनाथ की नगरी अविनाशी काशी में मंगलवार को तुलसीघाट पर नटवर की नागनथैया की लीला जीवंत हुई। भगवान श्रीकृष्ण ने सात फन और 22 फीट लंबे कालिया नाग का मर्दन किया। इस अविरल, अलौकिक और पारंपरिक क्षण को अपलक निहारने के लिए आस्थावानों का जनसैलाब उमड़ा था। डमरुओं के निनाद के बीच वृंदावन बिहारीलाल… और हर हर महादेव… के जयघोष गूंजते रहे।
लक्खा मेला में शुमार तुलसीघाट की श्रीकृष्णलीला के प्रसंग नागनथैया की 10 मिनट की लीला को देखने के लिए घाट की सीढि़यों से लेकर गंगा में बजड़ों पर लीलाप्रेमियों की भीड़ उमड़ी थी। दोपहर से ही लीला देखने के लिए लोग पहुंचने लगे। रामायणियों ने पात्रों के साथ लीला के एक-एक प्रसंग को भक्ति भाव से वाचन कर जीवंत किया। भगवान श्रीकृष्ण अपने सखाओं के साथ गेंद खेल रहे थे तभी गेंद यमुना में चली गई। भगवान श्रीकृष्ण ने कदंब के पेड़ पर चढ़कर बांसुरी बजाई और अचानक गंगा में छलांग लगा दी।
कदंब के पेड़ से छलांग लगाते ही हर तरफ डमरुओं के निनाद संग वृंदावन बिहारीलाल और हर हर महादेव… का जयघोष गूंज उठा। कालिया नाग का मर्दन कर उसके फन पर बांसुरी बजाते श्रीकृष्ण के दर्शन की अनूठी झांकी देख सभी भावविह्वल हो उठे। खुशी में डमरू वादन, आरती व पुष्पवर्षा होती रही।
परंपरा के अनुसार बजड़े पर काशीराज परिवार के कुंवर अनंत नारायण सिंह अपने परिवार के साथ लीला देखने पहुंचे थे। मेयर अशोक कुमार तिवारी, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने भी दर्शन किए। अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास के महंत प्रो. विश्वंभरनाथ मिश्र ने भगवान श्रीकृष्ण के पात्र का माल्यार्पण किया। इसके बाद अनंत नारायण सिंह का स्वागत किया।
ये रहे पात्र व रामायणी
श्रीकृष्ण लीला के प्रमुख पात्रों में आशुतोष चौबे (खेलने वाले श्रीकृष्ण), श्रेयांश शर्मा (यमुना में कूदने वाले श्रीकृष्ण), दिव्यांश दुबे (बलराम), कार्तिक तिवारी (राधा), कृष्णशंकर सिंह (कंस), (मोनू सिंह यशोदा), श्रवण शर्मा (सुदामा), अष्टभुजा मिश्रा (नारद मुनि), श्रेयांश शर्मा, ऋषभ तिवारी, नट्टू विश्वास सखा आदि शामिल रहे। पं. श्यामबिहारी पांडेय, राज कुमार पांडेय, रामनोहर त्रिपाठी, जेपी मिश्रा, रामदत्त तिवारी, कांचन शान्याल, संजीव त्रिपाठी की भी अहम भूमिका रही।
कान्हा ने 4:34 बजे यमुना में लगाई छलांग
शाम 4:22 बजे गेंद यमुना बनी गंगा में गई। भगवान श्रीकृष्ण 4:34 बजे कदंब के पेड़ पर चढ़े। 4:38 बजे पेड़ से यमुना में छलांग लगाई। 4:39 बजे कालिया नाग को नथ कर बाहर निकले। इसके बाद 10 मिनट तक भक्तों को दर्शन किए।
22 दिनों की लीला की है परंपरा
तुलसीदास द्वारा शुरू की गई तुलसीघाट की श्रीकृष्ण लीला 22 दिनों की होती है। इसमें भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव से लेकर पूतना वध, कंस वध, गोवर्धन पर्वत सहित विभिन्न लीलाएं होती हैं। प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्रा ने बताया कि इस लीला में सभी कलाकर अस्सी, भदैनी के ही होते हैं, जो सभी पात्रों को निभाते हैं।